आई हॉस्पिटल में ऑपरेशन पर लगा बैन, सुप्रीम कोर्ट व मानवाधिकार आयोग तक पहुंचा मामला

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बिहार के मुजफ्फरपुर से एक ऐसी खबर सामने आई है जिसने सभी को चौंका कर रख दिया है। दरअसल, यहां पर डॉक्टर ने आम जनता की जिदंगी के साथ खिलवाड़ किया है। बताया जा रहा है कि जिला प्रशासन ने मुजफ्फरपुर के आई हॉस्पिटल में आंख के ऑपरेशन पर फिलहाल बैन लगा दिया है। वहीं अगले आदेश तक यह बैन जारी रहेगा। आदेश की समीक्षा उन मरीजों के स्वाब जांच की रिपोर्ट आने के बाद की जाएगी, जिनकी आंखों की रोशनी चली गई है। यदि इस केस में अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही पाई जाती है तो अस्पताल का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया जाएगा।


दरअसल डीएम प्रणव कुमार ने कहा कि जिन मरीजों के स्वाब जांच के लिए भेजे गए हैं, उनकी रिपोर्ट का इंतजार है। वहीं रिपोर्ट आने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। जबकि डीएम ने मंगलवार को सिविल सर्जन से अब तक हुई जांच की प्रगति रिपोर्ट भी ली। सिविल सर्जन ने बताया कि अब तक आंख के ऑपरेशन के तमाम पहलुओं पर जांच की गई है। इसमें ऑपरेशन थियेटर से लेकर चिकित्सक तक की भूमिका की जांच जारी है। डीएम ने सख्ती के साथ कहा कि यदि इलाज और ऑपरेशन में किसी तरह अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही सामने आती है, तो अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की जाएगी। वहीं जांच टीम के पास रिपोर्ट देने के लिए अभी दो दिन का समय बाकी है।


आई हॉस्पिटल व डॉक्टर की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इसमें मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराए मरीजों की आंखों की रोशनी जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट और मानवाधिकार आयोग तक पहुंच गया है। वैसे ये मामला सामने आने पर मंगलवार को अधिवक्ता एसके झा ने सुप्रीम कोर्ट, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एवं राज्य मानवाधिकार आयोग से शिकायत की है। इन्होंने आई हॉस्पिटल की भूमिका पर सवाल उठाया है। हॉस्पिटल की लापरवाही के कारण अधिकांश की आंखों की रोशनी चली गई। वहीं संक्रमण के कारण मरीजों की परेशानी बढ़ रही है।
गौरतलब है कि उन्होंने ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर की योग्यता व अनुभव, ऑपरेशन का प्रोटोकॉल, अस्पताल के मानक आदि बिंदुओं पर जांच की आवश्यकता करनी है। जबकि मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के अलावा राष्ट्रीय व राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष को भेजे पत्र में कहा है कि पहला यह मामला लापरवाही का प्रतीत होता है। इसकी निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर पूरी तरह कार्रवाई करनी चाहिए। सबसे खास बात यह है कि सभी पीड़ित मरीजों का सरकारी खर्च पर इलाज कराने की मांग की गई है।

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