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विकेट गिर रहे थे, कपिल देव थे बाथरूम में

विकेट

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अनुराग दुबे: भारतीये टीम ने 1983 में कपिल देव की कप्तानी में अपना पहला विश्व कप जीता था। इस पर अब फिल्म बनकर भी तैयार है, जो कि  रिलीज हो गई है। बताया जाता है कि तब भारतीय टीम को कमजोर आंका जाता था और किसी ने सोचा तक नहीं था कि ये टीम विश्व विजेता बनकर लौटेगी। हालांकि, टीम ने जीतने की ठान ली थी और वेस्टइंडीज जैसी शानदार टीम को हराकर विश्व विजेता बनी। इस बीच भारत का सफर आसान नही था, यहां तक की भारतीय टीम ने अमेरिका की वीजा भी बनावा लिया था भागने के लिए। लेकिन नियती को कुछ और हीं मंजुर था।

 टीम को टूर्नामेंट में कई उतार चढ़ाव वाले पल देखने को मिले थे। इस टूर्नामेंट में एक मैच ऐसा भी था, जब लगा था कि टीम हार जाएगी, लेकिन तब भारतीय कप्तान कपिल ने एक ऐसी पारी खेली थी कि वह इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज हो गया। यह मैच और कोई नहीं बल्कि भारत बनाम जिम्बाब्वे मैच था। टीम इंडिया ने जिम्बाब्वे के खिलाफ अपने पांच विकेट सिर्फ 17 रनों पर ही खो दिए थे, लेकिन फिर जो हुआ उसे आज भी याद किया जाता है। कपिल ने जो बल्लेबाजी की, उसकी मिसाल आज भी दी जाती है। कपिल 138 गेंदों पर 175 रन बनाकर नाबाद रहे। इसमें 16चौके और तीन छक्के शामिल हैं। भारत ने 60 ओवर में आठ विकेट खोकर 266 रन बनाए और जिम्बाब्वे को फिर 57 ओवरों में 235 रनों पर ढेर कर दिया। कपिल ने रोजर बिन्नी के साथ 60 रनों की साझेदारी की। फिर मदन लाल ने कपिल के साथ 62रन जोड़े थे। टीम ने 140 रन पर आठ विकेट गंवा दिए थे।  इसके बाद कपिल और किरमानी ने 126 रनों की नाबाद साझेदार की थी। किरमानी ने 56 गेंदों पर दो चौकों की मदद से 24 रन बनाए।  भारतीय टीम के इस ऐतिहासिक जीत को इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में याद किया जाएगा।

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