विधानसभा चुनाव में विरासती खेला, नेता बेटों को टिकट दिलानें की होड़ में

विधानसभा चुनाव

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पंजाब में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। चुनावी दंगल में पहलवान उतरना शुरू हो गए हैं। एक तरफ कई नेता अपनी टिकट के लिए जोड़-तोड़ लगा रहे हैं, तो दूसरी तरफ बुजुर्ग नेता अपने बेटों एवं पौत्रों के लिए राजनीतिक जमीन तलाशने में जुट गए हैं। इन्होंने पांच साल से अपने बच्चों को इलाके की राजनीति में सक्रिय कर रखा है। उनका आधार दिखा कर अब वे अपनी जगह बच्चों के लिए टिकट की मांग कर रहे हैं। इसके लिए आलाकमान तक पैरवी की जा रही है। विधायक और सांसद अपने इलाके में रैलियां करवा कर माहौल भी तैयार कर रहे हैं। अब देखना है कि उनकी इस मंशा को लेकर पार्टी आलाकमान कितना गंभीर होता है। पंजाब में विरासत की सियासत हमेशा से होती रही है। वर्तमान राजनीति में भी कई ऐसे चेहरे हैं जो परिवारवाद की राजनीति से ही यहां तक पहुंचे हैं।

लुधियाना के हलका रायकोट में श्री फतेहगढ़ साहिब से सांसद डा. अमर सिंह अब अपने बेटे कामिल बोपाराय के लिए टिकट की मांग कांग्रेस आलाकमान से कर रहे हैं। पिछले पांच साल से कामिल रायकोट में सक्रिय हैं और लोगों के साथ मेल-जोल बढ़ाकर अपना आधार मजबूत किया है। पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू ने हाल ही में रायकोट में रैली करके कामिल के समर्थन में अपनी मुहर भी लगा दी। उधर, कामिल ने भी चुनाव को लेकर डा. अमर सिंह की देखरेख में जोर-जोर से तैयारियां शुरू कर दी हैं। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में डा. अमर सिंह रायकोट से चुनाव हार गए थे। अब बेटे पर दांव लगा रहे हैं। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य शमशेर सिंह दूलो भी अपने बेटे बनदीप सिंह दूलो के लिए नई जमीन तलाश रहे हैं। बनदीप 2019 के लोकसभा चुनाव में आप की टिकट पर श्री फतेहगढ़ साहिब सीट से लोकसभा चुनाव लड़े और हारे भी थे।  

समराला से कांग्रेस के चार बार के विधायक अमरीक सिंह ढिल्लों भी अपने पोते करणवीर सिंह ढिल्लों के लिए विधानसभा चुनाव में टिकट की मांग कर रहे हैं। करणवीर अभी समराला से पार्षद एवं नगर काउंसिल के प्रधान हैं। इसके अलावा वे पंजाब स्टेट ट्रांसमिशन कारपोरेशन के भी डायरेक्टर हैं।  

साहनेवाल से शिअद विधायक शरणजीत सिंह ढिल्लों वर्ष 2022 विधानसभा चुनाव मैदान में हैं, लेकिन साथ ही वे अपने बेटे सिमरनजीत सिंह ढिल्लों को भी प्रमोट कर रहे हैं। उन्होंने शिअद प्रधान स़ुखबीर बादल से वर्ष 2027 के चुनाव में सिमरनजीत सिंह को चुनाव मैदान में उतारने की हामी भरवा ली है।

बठिंडा से शिरोमणि अकाली दल के पूर्व मंत्री सिकंदर सिंह मलूका बेटे गुरप्रीत सिंह मलूका को अपने हलके रामपुरा से टिकट दिलाना चाहते थे। वहीं शिअद के ही मानसा से राज्यसभा सदस्य बलविंदर सिंह भूंदड़ अपने बेटे दिलराज सिंह भूंदड़ को मजबूत करने में लगे हैं, जो सरदूलगढ़ से मौजूदा विधायक हैं।

जिला संगरूर से कई दिग्गज अपने वारिसों के लिए कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस की पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्ठल अपने बेटे राहुल इंद्र सिंह के लिए प्रयासरत हैं। कांग्रेस के ही अमरगढ़ से विधायक सुरजीत सिंह धीमान अपने भतीजे जसविंदर सिंह धीमान को सुनाम विधानसभा सीट से उतारने की तैयारी कर रहे हैं।  

जिला फरीदकोट की जैतो विधानसभा से सांसद मोहम्मद सदीक अपनी बेटी जावेद अख्तर को कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़वाना चाह रहे हैं। यह आरक्षित सीट है। कांग्रेस पार्टी के पास यहां पर कोई दूसरा बड़ा चेहरा भी नहीं है। इस सीट से 2017 में मोहम्मद सदीक भी चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने फरीदकोट आरक्षित सीट से मोहम्मद सदीक को चुनाव में उतारा और वह जीत हासिल करने में सफल रहे।  

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