कोर्ट ने कहा मजबूत लोकतंत्र के लिये प्रेस की आजादी जरुरी

सुप्रीम कोर्ट मीडिया वन प्रसारण।

सुप्रीम कोर्ट मीडिया वन प्रसारण।

Lavi Fanshwal। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मीडिया वन प्रसारण पर लगे केंद्र के प्रतिबंध को हटा दिया है। कोर्ट ने कहा है कि प्रेस का कर्तव्य लोगों के सामने सत्य बोलना है। जिसमें राष्ट्र को किसी भी प्रकार का खतरा नहीं है। आगे कहा कि यदि वह सरकार की नीतियों का की आलोचना करता है , तो उसे सत्ता विरोधी नहीं कहा जा सकता। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को प्रेस को आजादी देने व स्वतंत्र रखने को कहा। साथ ही उन्होंने मलयालम चैनल मीडिया वन पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डिवार्ड चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि सरकार प्रेस पर कोई प्रतिबंध नहीं लगा सकती। अगर वह ऐसा करती है तो इससे प्रेस की आजादी को ठेस पहुंचेगी। जिसके कारण देश का मीडिया प्रभावित होगा। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि मजबूत लोकतंत्र के लिए प्रेस  की आजादी जरूरी है। उन्होंने कहा यदि कोई चैनल सरकार की नीतियों की आलोचना करता है। तो उसे सत्ता का विरोधी नहीं कहा जा सकता है। यदि ऐसा करके उस पर प्रतिबंध लगाते हैं, तो ऐसे में प्रेस की आजादी पर रोक लगाने जैसा होगा। कोर्ट ने चैनल के लाइसेंस का नवीनीकरण 4 हफ्ते में करने का समय दिया है। पीठ ने हाईकोर्ट के उस प्रतिबंध को हटाया है। जिसमें उसे बरकरार रखा गया था। उन्होंने कहा कि प्रेस का काम है कि वह सरकार के  सामने का सच लायें। जनता के सामने कठोर व कड़वे सच पेश करें। जिससे हमारा लोकतंत्र मजबूत बनेगा। इससे राष्ट्र को कोई खतरा नहीं है। पीठ ने कहा कि किसी चैनल के लाइसेंस का यदि नवीनीकरण नहीं करते हैं। तो यह अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार पर प्रतिबंध की तरह है। इस प्रतिबंध से देश की जनता यही सोचेगी कि उनकी आवाज को दबाया जा रहा है। इसलिए कोर्ट ने इस प्रतिबंध को हटा दिया है।

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