लवी फंसवाल। महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर उलटफेर हुआ है और विपक्ष के नेता अजित पवार शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार में शामिल हो गए हैं। जिसके बाद शरद पवार ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि कुछ लोग पार्टी पर दावा कर रहे हैं लेकिन यह जनता तय करेगी कि पार्टी किसकी है। इन दोनों बयानों से साफ है कि पार्टी को लेकर लड़ाई हो सकती है। ऐसे में फिर से दल बदल विरोधी कानून के प्रावधानों की चर्चा होगी।

आपको बता दें कि, एनसीपी के नेता शरद पवार शिंदे सरकार में शामिल हो गये हैं। उन्होंने डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली है। इसके साथ ही उनके 9 विधायक भी शिंदे सरकार में शामिल हो गए हैं। उनके साथ पार्टी के 18 विधायक भी हैं। भाजपा-शिवसेना गठबंधन को समर्थन देने और सरकार में शामिल होने का अजित पवार का फैसला 2024 से पहले विपक्षी एकता के लिए एक बहुत बड़ा झटका है। जिसके बाद शरद पवार ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस की, और कहा की कुछ लोग यह दावा कर रहे हैं, कि पार्टी टूट जाएगी। लेकिन यह बात जनता तय करेगी, कि पार्टी टूटेगी या मजबूती से बनेगी। इससे पहले शिवसेना में भी इसी तरह की फूट देखने को मिली थी। एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद उनके चालीस विधायकों ने एनडीए सरकार को समर्थन दिया। इसके बाद शिंदे को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री बनाया गया। ठीक उसी तरह अजित पवार भी अपने पास चालीस विधायक होने का दावा कर रहे हैं और असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी होने का दावा कर रहे हैं। शिंदे गुट ने भी खुद के असली शिवसेना होने का दावा किया था, जिसके बाद शिवसेना के दो हिस्से हो गए थे। आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव से पहले इस उलटफेर को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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