दीपक झा। नई संसद भवन में नए भारत के भविष्य की रचना की जा रही है। जिसमें नया इतिहास जोड़ा जा रहा है। देश की तरक्की में जगत जननी को भी अब शामिल किया जा रहा है, और उनके अधिकारों को सुनिश्चित किया जा रहा है।

 

देश के कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने महिला से जुड़ा आरक्षण बिल लोकसभा में पेश किया और यह आसानी से पास हो गया। अब श्रेय लेने का भी काम जोरों शोरों पर है। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी जब भाषण दे रही थी, तो वह काफी भावुक हो गईं। जिसमें उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का जिक्र किया और कहा कि यह सपना राजीव गांधी का अधूरा रह गया था। जो अब पूरा हो रहा है। दरअसल, उन्होंने पंचायती राज का जिक्र करते हुए कहा कि राजीव गांधी ने पंचायती राज के तहत महिलाओं के लिए महिलाओं के भागीदारी को सुनिश्चित किया था। आज पंचायती राज्य में करीब 15 लाख महिलाएं अपने योगदान और देश के प्रगति में हाथ बढ़ा रही हैं। लेकिन, यह जो बिल है, दरअसल इस बिल के तहत लोकसभा राज्यसभा और राज्य विधानसभाओं में 33% भागीदारी सिर्फ महिलाओं के लिए सुनिश्चित की जाएगी यह 128 व संविधान संशोधन है। जिसके तहत महिलाओं को सदनों में 33% के हिसाब से 543 सीटों में 181 सेट सिर्फ और सिर्फ महिलाओं के लिए आरक्षित किये जाएंगे। जिसमें पुरुष भागीदारी नहीं लेंगे। सवाल जो उठना है बार-बार वह यह है यह एससी, एसटी विरोधी है और ओबीसी को इसमें नहीं जोड़ा गया पर ऐसा नहीं है। इसमें एससी, एसटी वर्गों के लिए भी ध्यान रखा गया है। दरअसल, मौजूदा वक्त में एससी एसटी के लिए जो 43 सिम आरक्षित हैं। वह इसमें ऐड हो जाएगी और यदि इस हिसाब से देखा जाए तो यह 181 में 131 सेट ऐसे होंगे जिसमें सिर्फ महिलाएं खड़ी हो सकती हैं। उम्मीदवार बन सकती हैं। जिसमें कोई भी पुरुष खड़ा नहीं होगा। कोई भी पुरुष भागीदारी सुनिश्चित नहीं करेगा, बल्कि इसमें जनरल हो, ओबीसी हो, एससी, एसटी हो, जो भी हो वह इसमें उम्मीदवार बन सकती हैं और वह जो 43 सिम हैं, उसमें भी सिर्फ महिलाएं उम्मीदवार बन सकती है। लेकिन, वह एससी-एसटी पिछले वर्ग से होगी। इसमें सभी का ध्यान रखा गया है और सभी वर्गों के भागीदारी को सुनिश्चित किया गया है। लेकिन यह बिल पास होने के बाद भी लागू नहीं होगा। इसमें परमिशन की प्रक्रियाएं अभी बाकी हैं। जो 2028 तक संभावित रूप से समाप्त हो जाएंगी। पिछली परिसीमन 2002 में शुरू की गई थी। सरकार के द्वारा जो 2008 में समाप्त हुई और 6 साल का वक्त लगा। उसी हिसाब से 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद यह परिश्रम्मन की प्रक्रियाएं शुरू की जाएगी।

 

रमैया बिल पास हो चुका है। अब राज्यसभा में इस पर बहस जारी है। कांग्रेस की राज्यसभा सांसद रंजीता रंजन इसके समर्थन में भाषण दिया और उन्होंने सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि महिलाओं के प्रति आप कितनी चिंतित हैं। यह जंतर मंतर पर बैठी महिलाओं से पता चलता है। मणिपुर में जो महिलाओं के साथ हुआ उसे पता चलता है। सरकार पर कई गंभीर आरोप रंजीता रंजन ने लगाए। अब यह मुद्दा 2024 लोकसभा चुनाव में और उसके परिणामों में देखने को मिलेगा। लोकसभा चुनाव में आपको महिला आरक्षण बिल जरूर सुनाई देने वाला है।

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