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छठ पूजा करने से पांडवो को मिला था खोया राजपाट

छठ पर्व का विशेष महत्व

देश में छठ पर्व का विशेष महत्व है, द्रोपदी और पांडवों से जोड़कर इस पर्व को देखा गया है।

देश में छठ पर्व की हर जगह धूम मची हुई है। इस पर्व का महत्व बिहार में अनोखे अंदाज के साथ देखने को मिलता है। पर्व के दरमयान महिलाएं उपवास रखती है। मालूम हो, ये व्रत 36 घंटे का होता है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, व्रत का महत्व संतान प्राप्ति और सुख समृद्धि के लिए किया जाता है। इस दिन प्राचीन परंपराओं को मानते हुए विधिवत छठी माता का पाठ किया जाता है।


मान्यताओं के अनुसार, सूर्य, छठ पूजा के तीसरे दिन शाम के वक्त सूर्यदेव अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते है। इसलिए संध्या अर्घ्य देने से प्रत्यूषा को अर्घ्य प्राप्त होता है। पर्व में अर्घ्य देने का विशेष महत्व बताया गया है। अर्घ्य देने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।


छठ पूजा का त्योहार कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है इस बार छठ पूजा का पर्व 10 नवंबर बुधवार को है। छठ पूजा कि शुरुआत दो दिन पूर्व चतुर्थी तिथि को नहाय खाय़ से होता है। फिर पंचमी को लोहंडा ओर खरना होता है उसके बाद षष्ठी तिथी को छठ पूजा होती है। जिसमें सूर्य देव को शाम का अर्घ्य अर्पित किया जाता है।

इसके बाद अगले दिन सप्तमी को सूर्योदय के समय उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते है और फिर पारण करके व्रत पूरा किया जाता है। हिंदु पंचाग के अनुसार छठ पूजा 4 दिन की होती है इस दौरान व्रतधारी लगातार 36 घंटो तक व्रत रखते है। व्रती महिलाएं पानी का भी सेवन नहीं करती है। छठ पूजा के दौरान बहुत ही विधि विधान के साथ पूजा की जाती है।

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