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शीतकालीन सत्र में खनिज उत्पाद बना विपक्ष का मुद्दा

खनिज उत्पाद

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29 नवंबर 2021 शीतकालीन संसदीय सत्र में पेट्रोल डीजल विपक्ष का मुख्य मुद्दा रहा है। इस मुद्दे को लेकर विरोधी पार्टियों ने मोदी सरकार को घेरने का मास्टर प्लान तैयार किया। संसदीय बहस का आज 12 दिवस है। लगातार इस मामले को लेकर बहस छिडी हुई है कि आधिक केंद्र सरकार पेट्रोल डीजल को टैक्स का दायरे से क्यों नहीं जोड़ना चाहती है? इस पर सरकार की विचाराधीन है। ज्ञात हो, कोरोना के दरमयान देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ने से सरकार मजबूर होती दिख रही है। दूसरी तरफ देश के पांच राज्यों में विधान सभा के चुनावी प्रतिक्रियाओं को ध्यान में रखते हुए मुद्दा असमंजस में पड़ा हुआ है। दरअसल पिछले दिनों सरकार ने देश में 7-9 रुपए प्रति लीटर की दर से राहत प्रदान की थी। जिससे जनता पूरी तरह संतुष्ट नहीं हुई है। पिछले दिवस संसदीय बहस सत्र में विपक्षी दल के नेता माला रॉय ने केंद्र सरकार से सवाल पूंछते हुए कहा कि पेट्रोल डीजल में राज्य सरकारों को एक्ससाइज ड्यूटी के बतौर कितना कमाई होती है। जबाव में वित्त मंत्रालय ने कहा कि पेट्रोल और डीजल के उत्पाद में राज्य सरकारों को 27.90 औऱ 21.80 रुपए की आय मिलती है। उदाहरणतया, पेट्रोल में राज्य को मिलने वाला लाभ 27.90 बेसिक एक्ससाइज ड्यूटी 1.40, स्पेशल एडिसनल एक्ससाइज ड्यूटी 11, अतिरिक्त उतापद शुल्क 13 रुपए, एग्रीकल्चर सेस 2.50 रुपए इसी तरह डीजल पर राज्य की कमाई 21.80 प्रति लीटर बेसिक 1.80, स्पेशल 8, अतिरिक्त 8 औऱ एग्रीकल्चर 4 रुपए के बाद केंद्र सरकार को शामिल करने के बाद इनकी कीमतों में भारी भरकम उछाल आता है। विगत 2020 से कोरोना महामारी से समूचा देश त्रास्त हो गया था, उस दौरान कच्चे तेल की कीमतों पर गिरावट होने से सरकार को मजबूरन एक्साइज ड्यूटी बढ़ानी पड़ी थी। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा कीमतों के सख्त होने के कारण घरेलू एलपीजी और मिट्टी के तेल की कीमतों को लगभग तीन तिमाहियों तक ऊंचा रखा है, जिससे अक्टूबर में पेट्रोल-डीजल की महंगाई बढ़कर 14.3 प्रतिशत हो गई।

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