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जानिए क्या है? जम्मू कश्मीर में धारा 370

रोशनी अहिरवार। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के जम्मू और कश्मीर में धारा 370 निरस्त करने के फैसले पर 11 दिसंबर बुधवार को मोहर लगा दी है। करीब 16 दिन तक चली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि यह फैसला संवैधानिक रूप से वैध है। केंद्र सरकार ने करीब 4 साल पहले 5 अगस्त 2019 को जम्मू और कश्मीर में धारा 370 को निरस्त किया था। याचिकाकर्ताओं के द्वारा इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की संविधान पीठ ने 11 दिसंबर को फैसला सुनाया। सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। इसकी कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं है। केंद्र ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू और कश्मीर में धारा 370 निरस्त कर उसे एक केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था और लद्दाख को इससे अलग कर एक केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था।

जम्मू-कश्मीर आज से नहीं बल्कि आजादी के समय से ही एक विवादित मुद्दा बना रहा है, जम्मू कश्मीर के राजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर 1947 में भारत विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर, जनमत सहमति द्वारा इसे भारत का हिस्सा बनाया था। आजादी के समय कबायली घुसपैठ से जम्मू और कश्मीर बहुत प्रभावित हुआ था। जिसे रोकने के लिए भारत सरकार ने राजा हरि सिंह की मदद की और जम्मू कश्मीर को घुसपैठियों से मुक्त कराया। तब से लेकर आज तक जम्मू कश्मीर विवादित मुद्दा बना हुआ है।

जम्मू और कश्मीर एक विशाल देशी रियासत थी जिस पर पाकिस्तान शुरू से ही कब्जा करना चाहता था। जम्मू कश्मीर मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र था, जहां लगातार पाकिस्तान द्वारा आतंकी गतिविधियां होती रहती थी। इन गतिविधियों पर नियंत्रण के लिए भी जम्मू और कश्मीर को विशेष अधिकार देना जरूरी माना गया। संविधान में था।

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