लवी फंसवाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब जापान के हिरोशिमा से पपुआ न्यू गिनी के लिए यात्रा शुरू की, और साथ ही ऑस्ट्रेलिया के दौरे का जिक्र करा। तो इससे यह तो उम्मीद थी, कि कुछ सफलता मिलेगी। लेकिन दुनिया के बड़ी आबादी वाले भूभाग पर भारत अपनी एक अहम छाप छोड़ेगा। इसका अंदाजा बड़े से बड़े देश को नहीं था।

आपको बतादें, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय विदेशी यात्राओं पर हैं। जिसमें वह जापान के जी-7 सम्मेलन में सम्मिलित होने के बाद, पपुआ न्यू गिनी की यात्रा पर निकल गए। हालांकि पपुआ न्यू गिनी में शाम ढलने के बाद किसी भी राष्ट्रध्यक्ष का पारंपरिक सम्मान नहीं किया जाता। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मामले में उन्होंने अपना यह रिवाज बदल दिया। पपुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स‌‌ मारपे ने पीएम मोदी के पैर छूकर स्वागत किया। तो वहीं पीएम मोदी ने उनका गले लगाकर अभिवादन किया। वहीं विदेश सेवा से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी अमरेंद्र कठुआ ने कहा, कि पीएम मोदी की तमाम सफल यात्राओं में से हिंद प्रशांत द्वीप समूह वाले देशों की सबसे सफल यात्रा मानी जा सकती है। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पपुआ न्यू गिनी सहित हिंद प्रशांत देशों के द्वीप समूह वाले देशों के लिए चलाई गई, लाइन ऑफ क्रेडिट (मदद भरपूर) की शुरुआत हुई। तो वहीं विदेशी मामलों के जानकारों ने कहा कि अगले 2 साल के भीतर भारत न सिर्फ ऐसे देशों की मदद करेगा। बल्कि चीन जो इन देशों में दखलअंदाजी करता है। उसे भी खत्म करेगा। बतादें कि कभी उन देशों की मदद करने के लिए ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस आगे रहते थे। लेकिन जब से यह दोनों देश पीछे हटे हैं। तब से चीन ने हिंद और प्रशांत के द्वीप समूह वाले देशों पर अपना अधिकार जमाना शुरू कर दिया। अमरेंद्र कठुआ ने कहा कि जिस तरह से भारत में लाइन ऑफ क्रेडिट शुरू किया है। वह बताता है कि भारत उन सभी देशों के लिए जो द्वीप समूह पर है, उनके लिए कितना सजग और मददगार साबित होगा।

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