ज्ञानवापी केश; कोर्ट ने कथित शिवलिंग पर वैज्ञानिक जांच कराने के दिये आदेश

लवी फंसवाल। इलाहाबाद कोर्ट से शुक्रवार को एक बड़ा फैसला सामने आया। जिसमें इलाहाबाद कोर्ट ने ज्ञानव्यापी मस्जिद और विश्वनाथ मंदिर के विवाद के मामले में एक अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने आदेश दिया कि ज्ञानव्यापी मस्जिद सर्वे के दौरान मिले कथित शिवलिंग की कार्बनडेटिंग कराई जाए।

जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार को इलाहाबाद कोर्ट से एक बड़ा फैसला सामने आया। जिसमें कोर्ट ने कहा, कि ज्ञानव्यापी मस्जिद में सर्वे के दौरान कथित शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच हो। कोर्ट ने विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के ऊपर यह बड़ा फैसला शुक्रवार को लिया। कोर्ट ने कहा कि कथित शिवलिंग की कार्बनडेटिंग कराई जाए। साथ ही कोर्ट ने जिला जज के आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें उन्होंने कार्बन डेटिंग की मांग रखने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। आपको बतादें, कि ज्ञानवापी विवाद को लेकर हिंदू पक्ष का दावा है, कि यहां इसके नीचे 100 फीट ऊंचे पर आदि अनंत का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग विराजमान है। हिंदू पक्ष का कहना है कि काशी विश्वनाथ के मंदिर का निर्माण करीब 2050 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने करवाया था। लेकिन जब मुगलों का आतंक आ गया, तो मुगल सम्राट औरंगजेब ने सभी मंदिरों को तोड़ा। तब उसने काशी विश्वनाथ को भी सन् 1664 में तुड़वा दिया। दावे में कहा गया है कि मस्जिद का निर्माण, मंदिर तोड़कर उसके ऊपर किया गया। जिसे अब ज्ञानवापी मस्जिद के रूप में जाना जाता है। वहीं याचिकाकर्ताओं द्वारा मांग की गई कि ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण किया जाए, और पता लगाया जाए कि जमीन के अंदर का भाग मंदिर का अवशेष ही है या नहीं है। इन्हीं सब दावो को सुनने पर अदालत ने कोर्ट कमिश्नर को नियुक्त करते हुए आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की एक टीम बनाई। इस टीम को ज्ञानव्यापी परिसर का सर्वे करने का कार्य दिया गया था। वहीं शुक्रवार को न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्रा की पीठ ने (एसआई) की रिपोर्ट के आधार पर कथित शिवलिंग की वैज्ञानिक की जांच कराने का फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा शिवलिंग को बिना खंडित किए जांच जारी की जाए।

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