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दिल्ली फिर बनी वायु प्रदूषण की राजधानी

वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण

देश की राजधानी दिल्ली के प्रदूषण को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। सरकार के दावों और इरादो के बीच राजधानी की हवा साफ नहीं हो पा रही है। इसी सबके बीच मंगलवार को दिल्ली को दुनिया की सबसे बड़ी प्रदूषित राजधानी होने का तमगा लगातार दूसरी बार मिला है। यानी रैंकिंग रिपोर्ट में दिल्ली विश्व की सबसे प्रदूषित राजधानी बन गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Standard) की माने तो हमारे पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश की राजधानी ढाका दूसरी सबसे अधिक प्रदूषित राजधानी है। चाड की राजधानी नजामिना तीसरी, तजाकिस्तान की राजधानी दुशांबे और ओमान की राजधानी मस्कट क्रमशः चौथी और पांचवी सबसे प्रदूषित राजधानी है। रिपोर्ट्स की मानें तो दिल्ली के प्रदूषण स्तर में एक बार फिर से लगातार बढ़ोत्तरी दर्ज हो रही है। अगर प्रदूषण के जानकारों की माने तो दिल्ली की आबोहवा में सांस लेना करीब 20 से तीस सीगरेट पीने के बराबर है। डब्ल्यूएचओ के अगर मानदंड़ों की अगर बात करें तो देश की 90% से अधिक की आबादी ऐसी हवा में सांस लेने को मजबूर है जो कि पूरी तरह से असुरक्षित है। इसमें हवा की गंभीर होती स्थिति के पीछे सल्फर और नाइट्रोजन बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। ताजा रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2021 के मुताबिक बीते साल दिल्ली के पीएम 2.5 में 14.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यहां तक कि भारत का कोई शहर विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु गुणवत्ता पर खरा नहीं उतरा है। रिपोर्ट दुनिया के 117 देशों के 6,475 शहरों के पीएम 2.5 डाटा पर आधारित है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्य एवं दक्षिण एशिया के कुछ शहरों में दुनिया की सबसे प्रदूषित हवा है। आंकड़ों के मुताबिक प्रदूषण की मार सबसे ज्यादा बच्चों पर पड़ रही है। देश के 3 मिनट के अंदर एक बच्चे की मौत प्रदूषण के कारण हो रही बीमारियों की वजह से हो रही है। वहीं ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीस की रिपोर्ट बताती है कि साल 2017 में 2 लाख से अधिक बच्चों को जहरीली हवा के कारण अपनी जान से हाथ धोना पड़ा कहने का अर्थ है कि प्रत्येक दिन साढ़े पांच सौ बच्चों की मौत हुई। डॉक्टर्स का कहना है कि वायु प्रदूषण अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया और हार्ट अटैक के लिए जिम्मेदार है। प्रदूषण के कारण हानिकारक कण रक्त में शामिल होने के बाद बॉडी के किसी भी हिस्से को डेमेज कर सकते हैं। कण खून के अंदर मोनो ऑक्साइड की मात्रा को भी बढ़ा देते हैं वहीं गाड़ियों के कारण होने वाले प्रदूषण के ह्दय के रोग की संभावना काफी बढ़ जाती है।

नियमों का नहीं हो रहा पालनः

आईआईटी कानपुर ने 2015 में अपनी रिपोर्ट में सरकार को सुझाव दिया कि दिल्ली के करीब 300 किमोमीटर के एरिया में जितने भी बिजलीघरों से so2 उत्सर्जन हो रहा है अगर उसे 90% तक कम कर दिया जाए तो हानिकारक पीएम 2.5 की मात्रा प्रतिघन मीटर 35 माइक्रोग्राम तक कम किया जा सकता है। वहीं सरकार ने प्रदूषण को कंट्रोल में करने के लिए नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम को शुरू किया जिसका उद्देश्य शहरी इलाकों को साल 2024 तक अपने वायु प्रदूषण को मौजूदा स्तर से 20 से 30 फीसद तक कम करना था। इसके लिए देश के 122 शहरों को इस सूची में शामिल किया गया। इस प्रोग्राम के कारण ही वायु प्रदूषण को आधिकारिक रूप से एक राष्ट्रीय समस्या घोषित किया गया।
जानकारी के अनुसार दिल्ली के आस-पास के 33 पावर स्टेशनों पर so2 उत्सर्जन रोकने के उपकरण लगाने थे लेकिन अभी तक इस पर कोई खास काम नहीं हुआ है। हालांकि सरकार इस तरह के आंकड़ों को नकारती रही है और देश के प्रति साजिश करार देती रही है। लेकिन अब इस समस्या से मुंह नहीं फेरा जा सकता है। पिछले दिनों संसद में भी बताया गया था कि साल 2020 की तुलना में वर्ष 2021 में वायु प्रदूषण बढ़ा है। सदन में दी गई जानकारी के अनुसार दिल्ली में वर्ष 2020 में पीएम2.5 का औसत स्तर 139 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर था, जो वर्ष 2021 में बढ़कर 168 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक पहुँच गया।
अपने देश में वायु प्रदूषण इस कदर तक बढ़ गया है कि विश्व के सबसे प्रदूषित 10 शहरों में से 6 सबसे प्रदूषित, 20 शहरों में से 15, 30 में से 22, 40 में से 29, 50 में से 36 और 100 शहरों में से 63 प्रदूषित शहर भारत में स्थित हैं।

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