शास्त्रों के अनुसार भाई के लिए खरीदे राखी

भाई के लिए राखी

भाई के लिए राखी

छाया सिंह। हमारे जीवन में कई रिश्ते होते हैं। लेकिन भाई-बहन का रिश्ता सबसे अनोखा होता है, इसमें रुठना मनाना एक-दूसरे का साथ देना पापा की डांट हो या मम्मी की मार इनसे एक दूसरे को बचाना। इन सबकी झलक इस रिश्ते में देखने को मिल ही जाती है। भाई बहन के इसी अटूट प्यार को दर्शाता है राखी का त्योहार हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन यह त्योहार मनाया जाता है। बहन इसी दिन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उनकी लम्बी उम्र की कामना करती हैं। बदले में भाई अपनी बहन की सदैव रक्षा करनें का वचन देता है।
बाजार में विभिन्न प्रकार की राखियां मिलती है। लेकिन शास्त्रों में राखी को लेकर कुछ बातें बताई गई है जिनका ध्यान रखना बेहद जरुरी है। तो चलिए जानते है राखी खरीदते या बाधंते समय हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

न खरीदें ऐसी राखी
राखी खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें कि उसमें किसी भी तरह का अशुभ प्रतीक व चिन्ह न हो। ऐसी राखी बांधने से अशुभ फलों की प्राप्ति होती है।

राखी में न हो किसी भी भगवान की तस्वीर
राखी में किसी भी तरह की देवी-देवता की तस्वीर नहीं होनी चाहिए। क्योंकि हर समय भाई की कलाई में ये राखी बंधी रहती है, जो कई बार अपवित्र भी हो जाती है या फिर कहीं भी खुलकर गिर जाती है। जिससे भगवान का अपमान होता है।

खंडित राखी को बिल्कुल भी ना बांधें

राखी को खरीदते समय इस बात का ध्यान जरुर रखें कि जल्दबाजी में कभी भी ऐसी राखी को न खरीदें जो टूटी हुई या फिर खंडित हो। अगर राखी का धागा भी अलग हो गया है, तो उसे न खरीदें ऐसी राखियां अशुभ मानी जाती हैं।

राखी बांधते समय भाई को हमेशा ऊंचे स्थान में बैठाना चाहिए क्योंकि जमीन में अशुभ माना जाता है

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