छाया सिंह-एम्स के डॉक्टरो ने अपने अध्ययन में पाया है कि कोरोना की पहली व दूसरी लहर में जो मरीज अस्पताल में भर्ती हुए, उसमें वयस्कों की तुलना में बच्चों में हल्के लक्षण थे और मृत्यु दर भी कम ही रही।
कोविड-19 संक्रम़ण का असर बच्चों की तुलना में वयस्कों पर अधिक है। बच्चों में न तो मृत्यु दर ज्यादा है और न ही उनमें गंभीर लक्षण विकसित हो रहे हैं। यह तथ्य अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टरो के दवारा किए गए अध्ययन में सामने आया है। 12 से 18 वर्ष की आयु के 197 ऐसे रोगियों पर अध्ययन किया गया जो, पहली व दूसरी लहर के दौरान कोविड-19 के संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती हुए।
अध्ययन में पता चला है कि अस्पताल में भर्ती 84.6% किशोरो को बहुत ही हल्के लक्षण प्रतीत हुए। वही 9.1% को मध्यम और 6.3% में गंभीर लक्षण विकसित हुए। वही इसमें बुखार और खांसी सबसे आम लक्षण थे, जिसमें से 14.9% को यह महसूस हुआ। वहीं 11.5% बच्चों के शरीर में दर्द था, 10.4% बच्चों को कमजोरी महसूस हुई। जबकि, उसी अस्पताल में दूसरी लहर के दौरान 50.7% वयस्कों को सांस लेने में तकलीफ महसूस हुई।
सिर्फ 7.3 प्रतिशत बच्चों को हुई ऑक्सीजन की आवश्यकता-
अध्ययन के मुताबिक, कोरोना से संक्रमित सिर्फ 7.3% बच्चों को ऑक्सीजन की आवश्यकता महसूस हुई, जबकि 2.8% को ऑक्सीजन के उच्च प्रवाह की आवश्यकता पड़ी। 24.1% बच्चों को स्टेरॉयड और 16.9% बच्चों एंटीवायरल दवा रेमेडिसविर दी गई।
मृत्यु दर छह गुना तक कम-
जिस अस्पताल में यह अध्ययन किया गया वहां कोरोना की दूसरी लहर के दौरान किशोरों की मृत्यु दर 3.1 प्रतिशत रही। जबकि, वयस्कों की मृत्यु दर 19.1% रही, जो बच्चों की तुलना में छह गुना अधिक है।