37 साल बाद सिख दंगों में एसआईटी टीम मिली सफलता, 54 आरोपियों की होगी गिरफ्तारी

उत्तर प्रदेश के गोविंद नगर थाना क्षेत्र में करीब 37 साल पहले सिख दंगा हुआ था। जिसमें एसआईटी टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है। प्रशासनिक आदेश के मुताबिक दंगे में कई लोगों की जान गई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक मकान में खून के धब्बे और शव जले होने का दावा किया गया था। जांच को मकान मालिक अगंद दीप ने खारिज करते हुए कहा था कि एसआईटी कि जांच गलत है। बता दें कि 1 नवंबर 1984 में दो सरदारों की निर्मम हत्या कर शव जला दिए गए थे। मृतकों में 45 वर्षीय तेजपाल सिंह और 22 वर्षीय पुत्र सत्यवीर सिंह शामिल थे। हमले के बाद से दबौली एल-ब्लॉक स्थित मकान संख्या-28 बंद पड़ा है। मकान के मालिक दीप ने बताया कि 1990 से दोनों कमरे बंद कर दिए गए थे। उसके बाद कई बार मकान की मरम्मत और पुताई भी हो चुकी है फिर एसआईटी को खून के धब्बे कैसे मिल गए। टीम के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि सबूतों को जुटाने में केमिकल का परीक्षण किया गया था। दीप का कहना है कि एसआईटी जिस जगह में खून के धब्बों का जिक्र कर रही है वहां करीब 10 साल से पानी का प्लांट चल रहा है। जांच में एक और बड़ा खुलासा हुआ है कि मकान के कमरें अभी तक बंद नहीं है। वहीं एसआईटी टीम के दरोगा पुनीत ने दीप को मीड़िया ट्रॉल में आने से मना किया है।
बता दें कि सिख दंगे की जांच में 9 मुकदमों का खुलासा करने के बाद अगली पारी पर पहल जारी हुई थी। आज एसआईटी टीम ने 11 मुकदमों की गुत्थी सुलझा दी है। 54 आरोपियों की धड़पकड़ जल्द शुरू हो सकती है। इन मामलों में हत्या के साथ लूट भी शामिल है। जानकारी के अनुसार कुल 67 आरोपी थे, जिनमें 13 आरोपी पहले ही जान गवां चुके है। बाकि 54 की गिरफ्तार करने की मंजूरी मिल गई है। एसएसपी बालेंद्रु भूषण ने बताया कि करीब 6-7 आरोपी 80 वर्ष के आस-पास के है, जिनमें 2-3 आरोपी गंभीर बीमारी से जूझ रहे है। इस मामले में सूबे की सरकार ने 2019 में पूर्व डीजीपी के नेतृत्व में एसआईटी टीम का गठन किया था। जांच के लिए कुल 6 महीने का समय मिला था। फिलहाल जांच कर दंगे की गुत्थी सुलझा दी गई है, सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार कार्रवाई की जाएगी।

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