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1 दिसंबर को क्यों मनाया जाता है एचआईवी एड्स डे,आइए जानते हैं इसके कारण

एचआईवी

अनुष्का वर्मा। एचआईवी एड्स डे हर साल 1 दिसंबर को मनाया जाता है। इसका पूरा नाम ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस संक्रामक बीमारी है। वैसे वर्तमान में इस बीमारी का कोई इलाज नही है। वहीं उपचार के बिना यह किसी व्यक्ति की प्रतिक्षा प्रणाली को गंभीर रूप से कमजोर कर सकता है और स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो सकता है। जब एचआईवी ट्रांसमिशन की बात करते हैं तो यह जानना महत्वपूर्ण है कि इसके शुरुआती लक्षण क्या हैं।


इसका पता लगाने से वायरस को नियंत्रित करने और तीसरी स्टेज में जाने से रोकने के लिए शीघ्र उपचार सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है। जबकि एचआईवी की स्टेज 3 कोआमतौर पर एड्स का रुप माना जात है। आज हम आपको इस बीमारी के शुरुआती लक्ष और संकेत बताने जा रहे हैं।

जब किसी व्यक्ति में एचआईवी के शुरूआती लक्षण मिलते हैं, तो ये सर्दी या फ्लू के समान हो सकते हैं बुखार, सिरदर्द, थकान, गले में खतरा, मांसपेशियों/जोड़ों में दर्द, रात को पसीना और दस्त जैसे-जैसे स्थिति बढ़ती है। वैसे मामूली संक्रमण जैसे कि मुंह में घाव, या दांत का फोड़ा या कैविटी, महत्वपूर्ण दर्द का कारण हो सकता है। एचआईवी वाले लोगों के लिए इन संक्रमणों से उबरना अधिक कठिन हो सकता है। एक व्यक्ति यह नोटिस कर सकता है कि उसे सर्दी या खांसी संक्रमण जैसे छोटे-मोटे संक्रमण अधिक बार होते है। वे यह भी नोटिस कर सकते है कि वे पहले की तुलना में अधिक बीमार हो सकते हैं जो आमतौर पर जीवन के लिए खतरा नहीं होते हैं।


आज आपको बता दें कि एचआईवी के वारे में पता कैसे लगाएं। किसी व्यक्ति को एचआईवी है या नही , यह जानने का एक ही तरीका टेस्ट है। एचआईवी टेस्ट करवाना ही यह निर्धारित करने का एकमात्र तरीका है कि वायरस शरीर में है या नहीं। जो किसी व्यक्ति के एचआईवी सेक्रमित करने की आशंका को बढ़ाते है। उदाहरण के लिए, जिन लोगो ले यौन संबंध बनाएं हैं या एक सुई को साझा किया है वे अपने डॉक्टर से जांच करवाने का विचार कर सकते है।

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