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बच्चों पर मोतियाबिंद का हो रहा असर, जानिए नेत्र रोग विशेषज्ञ की राय

मोतियाबिंद

सफेद मोतिया या मोतियाबिंद आंखों में होने वाली बीमारियों में से एक है। हालांकि यह इसलिए काफी खतरनाक हो जाता है क्यों कि अगर इसका सही समय पर इलाज न हो तो आंखों की रोशनी को हमेशा के लिए खत्मह कर देता है और व्यसक्ति की आंखों में अंधेरा छा जाता है। पहले बुजुर्गों या अधिक उम्र के लोगों को होने वाला यह रोग अब छोटे और नवजात बच्‍चों को भी अपना शिकार बना रहा है। डब्यूोने एचओ नेशनल प्रोग्राम फॉर कंट्रोल ऑफ ब्लाकइंडनेस के एक सर्वे के अनुसार भारत में कुल पीड़ितों में से 80.1 फीसदी आंखों में मोतियाबिंद की वजह से अंधापन है। वहीं सालाना 38 लाख लोग इसके शिकार होते हैं।

दिल्ली के सफदरजंग अस्पगताल में नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. बीपी गुलियानी कहते हैं कि मोतियाबिंद आंख के लिए नुकसानदेह है लेकिन एक जो अच्छीत बात है वह यह है कि इसका इलाज आज संभव है। मोतियाबिंद होने पर इसका इलाज ऑपरेशन या सर्जरी है। जिसके माध्य म से इसे आंख से हटाया जाता है। अगर यह इलाज बच्चों या बड़ों को समय पर मिल जाता है तो उनकी आंखों की रोशनी को बचाया जा सकता है। यह सर्जरी न केवल सुरक्षित है बल्कि बीमारी को आंख से हटाने के लिए जरूरी है। हालांकि इसके लिए अभिभावकों का ध्यालन देना काफी जरूरी है। इसके लिए बच्चोंआ की आंखों की नियमित जांच काफी जरूरी है।
आंख की पहले से कोई सर्जरी होने के बाद साइड इफैक्ट के रूप में भी मोतियाबिंद हो सकता है।
बच्चोंक में मोतियाबिंद आनुवांशिक रूप से भी होता है। अगर परिवार में किसी को सफेद मोतिया है तो बच्चे को भी मोतिया होने की संभावना होती है।
विकिरण या रेडिएशन के अधिक संपर्क व प्रभाव में आने से भी मोतियाबिंद होने का खतरा होता है। अगर किसी मरीज को डाउन सिंड्रोम आदि बीमारियां हैं, उस स्थिति में भी यह बीमारी हो सकती है।


बच्चों में संक्रमण, कुछ दवाएं जैसे स्टेरॉयड आदि की ज्याहदा मात्रा लेने पर भी केटरेक्टह होने की संभावना होती है। गर्भावस्था में महिला को रूबेला या चिकनपॉक्स जैसे संक्रमण होने पर बच्चेर को आंख में रोग होने का खतरा होता है।
बचपन में बच्चे की आंख में कोई चोट लगने, गांठ बनने या आघात होने से भी सफेद मोतिया हो जाता है। डायबिटीज, हाइपरटेंशन और एक्जिमा होने पर भी मोतियाबिंद हो सकता है।

आंख से धुंधला और कम दिखाई देना,रात में देखने में परेशानी महसूस होना।
आंख में तिरछापन का आना,रोशनी के प्रति आंख का संवेदनशील रहना या रोशनी में आंख का बंद हो जाना, कुछ भी पढ़ने या कोई गतिविधि करने के लिए तेज रोशनी की जरूरत महसूस होना।


प्रकाश के आसपास घेरे दिखाई देना, आंख की पुतली पर सफेद या पीली परत का आ जाना।
एक ही आंख से दो-दो चीज दिखाई देना।

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