गुड़हल की है करीब 200 प्रजातियां, कई बीमारियों में आती है काम

गुड़हल का फूल देवी देवताओं का सबसे पसंदीदा माना जाता है। इसमें कई प्रकार के पौषक तत्व मौजूद रहते हैं। जवा कुसुम वृक्षों के मालवेसी परिवार से संबंधित गुड़हल फूलों वाला पौधा है। इसका वनस्पतिक नाम हीबीस्कूस् रोज़ा साइनेन्सिस है। इस पुष्प में करीब 200 से अधिक प्रजातियां पाई जाती है। इसके फूल का रंग और अपने तीखे स्वाद के लिए जाना जाता है।
चीनी मिलाकर सेवन करने में क्रैनबेरी के रस की तरह लगता है। फिटनेस में इसका अधिकांश प्रयोग होता है। गुर्दे से संबंधित मरीज अक्सर बर्फ के साथ सेवन करते है। इस फूल में एंटीऑक्सीडेंट्स गुण होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखने में मददगार होते हैं। एनीमिया की समस्या पर गुड़हल के 40 फूलों का रस बनाकर सेवन किया जाता है। महिलाओं के मासिक चक्र में गुड़हल की चाय पिलाने से गर्भावस्था में सेहत मिलती है। इसकी पत्तियां एंटी – एजिंग गुणों से भरपूर है। रक्तचाप में गुड़हल कारगर है। कब्ज गैस और मोटापा में फूल के रस और चाय का सेवन किया जाता है। त्वचा संबंधी बीमारी में विटामिन और एंटी ऑक्सीडेंट गुण होने से त्वचा में निखार पहुंचाता है। सर्दी जुखाम और बुखार में गुड़हल का प्रयोग रामबाण उपाय है। इसकी चाय या काढ़ा बनाकर पीना चाहिए। किडनी और स्टोन में गुड़हल का नियमित सेवन करने से राहत मिलती है। इसी प्रकार अनेकों प्रजितियों के विभिन्न फायदे होते है। इसके नियमित सेवन से शारीरिक सुंदरता और अन्य बीमारियों से छुटकारा मिलता है।

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