कृषि कानूनों की वजह से हम यूपी में लोगों के बीच नहीं जा पा रहे हैः पूर्व विधायक राम इकबाल सिंह

केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों का विरोध लगभग एक साल से लगातार हो रहा है। इस संबंध में किसान संगठनों ने केंद्र सरकार के खिलाफ कई महापंचायत की हैं, जिसमें लाखों की संख्या में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों ने बढ़चढ़ कर हिसास लिया। इस सबको देखते हुए भाजपा उत्तर प्रदेश की कार्यसमिति के सदस्य और पूर्व विधायक राम इकबाल सिंह ने तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे विरोध का समर्थन किया है साथ ही दावा किया कि केंद्र सरकार किसान कानूनों को रद्द कर सकती है। यह बातें उत्तर प्रदेश के बलिया में पत्रकार वार्ता के दौरान कही। उन्होंने आगे कहा कि यूपी में अगले साल विधानसभा चुनाव होने है। दूसरी तरफ किसानों का कृषि कानूनों को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है। किसानों के कारण भाजपा के कई नेता पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गांवों का भ्रमण नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने आगे बताया कि नेताओं की इसी दुविधा के मद्देनज़र पार्टी विचार कर रही है। इसके अलावा विधायक ने दावा किया है कि सरकार किसानों की मांगों को स्वीकार कर सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को रद्द कर सकती है।
वहीं, दूसरी तरफ विपक्ष द्वारा पेगासस जासूसी कांड को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन का समर्थन करते हुए भाजपा के पूर्व विधायक ने कहा कि यदि विपक्ष चाहता है तो सरकार को इसकी जांच करनी चाहिए। उन्होंने कहा, संसद के सत्र को सुचारु रुप से चलाने की जिम्मेदारी सरकार की होती है।
गौरतलब है, पूर्व विधायक के बदलते सुरों पर भारतीय जनता पार्टी की ओर से अभी तक कोई सफाई नहीं दी गई है लेकिन आगामी उत्तर प्रदेश के चुनावों में किसान आंदोलन का य़ह मुद्दा रंग लेने लगा है। उधर, भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने अध्यापक दिवस यानी 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में आयोजित होने महापंचायत को लेकर एक बयान जारी किया है। उन्होंने कहा है कि इस महापंचायत में अब सरकार के खिलाफ आर या पार की रणनीति तैयार की जाएगी। इसके अलावा उन्होंने दावा किया है कि इस आंदोलन में करीब साढ़े 500 किसान संगठन शामिल हैं। यह आंदोलन सिर्फ पश्चिमी उत्तर प्रदेश का नहीं रहा बल्कि पूरे देश का है।

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