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ओमिक्रॉन के डर से तय किये गए श्मशान घाटों के रेट

श्मशान

दक्षिन अफ्रीका से वायरस का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन निकलकर अब पूरी दूनिया में दस्तक दे रहा है। यह दिन पर दिन भयावह ही होता जा रहा है। वैसे इस बीमारी को लेकर कई देशों ने पुख्ता इंतजाम भी कर लिए हैं। वहीं बिहार में इस बीमारी के खौफ से श्मशान घाटों पर तैयारी चल रही है। अवैध वसूली के कारण लकड़ी से लेकर पंडित-नाई तक का रेट तय किया जा रहा है। वहीं पटना नगर निगम ने शहर के गुलबी, बांस घाट और खाजेकलां घाट पर दाह संस्कार के लिए नई रेट तय की गई है।


नगर निगम को उम्मीद है कि अब घाटों पर सौदा नहीं होगा। नगर निगम ने भामाशाह फाउंडेशन के साथ मिलकर अंतिम संस्कार को लेकर बड़ी तैयारियां की है। अब से कम शुल्क में बिजली से अंतिम संस्कार किया जाएगा। वहीं कोरोना की दूसरी लहर में श्मशानों में वेटिंग के साथ जमकर वसूली के केस सामने आए। शव जलाने के लिए जगह नहीं मिलती थी और मिलती भी तो सौदा कर दिया जाता था। भास्कर ने इसका खुलासा स्टिंग से भी किया था।


खबरों के मुताबिक, पटना की महापौर सीता साहू ने मंगलवार को शवदाह गृह का शुभारंभ किया। श्मशान घाट के शुभारंभ के दौरान उपमहापौर, स्थायी समिति के सदस्य इंद्रदीप कुमार चंद्रवंशी, डॉ. आशीष कुमार सिन्हा, मनोज कुमार सहित कई वार्ड पार्षद उपस्थित रहे। इस क्रम में महापौर सीता साहू ने कहा कि पटना नगर निगम द्वारा आम जनों के हित का ध्यान रखते हुए घाटों पर अंत्येष्टि के लिए शुल्क का निर्धारण किया गया है, जिससे किसी से अतिरिक्त शुल्क नहीं वसूला जाएगा। यह व्यवस्था गुलबी घाट, बांस घाट और खाजेकलां घाट पर लागू की जाएगी।


जानिए आम की लड़की का रेट (7) मन – 2300 रुपए और आम की लकड़ी (9) मन-2600 रुपए तो वहीं आम की लकड़ी (11) मन – 2900 रुपए। झलौंसी एक बोझा – 100 रुपए। उसके बाद शव को जलाने और लकड़ी को मोड़ने की मजदूरी- 300 रुपए। हालांकि नाई हजामत और दाढ़ी बनवाने का शुल्क- 100 रुपए वहीं पंडित जी विधि सम्मत पाठ शुल्क- 100 रुपए। डोम राजा के लिए भी शुल्क निर्धारित किया गया है।
कोरोना की दूसरी महामारी में वायरस ने मौत का कहर बरपा दिया। वहीं अस्पताल से लेकर श्मशानों घाटों पर शवों की भीड़ हो गई। उसके बाद घाटों पर जगह तक नहीं थी और अस्पतालों से डेड बॉडी ले जाने के लिए भी काफी समस्या हो रही थी। ऐसे में परिवार वालों से जमकर वसूली हो रही थी। इसमें शवों का अंतिम संस्कार कराने को लेकर घाटों पर भी सौदा किया जाता था। एम्बुलेंस से लेकर घाटों पर मुंह मांगा पैसा देना पड़ रहा था। इस कारण से इस बार अंतिम संस्कार को लेकर पहले से ही विशेष तैयारी की जा रही है। इसमें श्मशान घाटों की व्यवस्था के साथ रेट को लेकर भी काम किया जा रहा है।

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