ज्योति कुमारी: बहुचर्चित विषय की समीक्षा समिति में भाजपा नेता विनय सहस्त्रबुध्दे के नेतृत्व वाली संसद की स्थायी समिति के 31 सदस्यों का चयन हुआ है, जिसमें केवल एक महिला तृणमूल कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव अकेली महिला है। दरअसल इसमें बेटियों की विवाह की उम्र 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 करने का प्रस्ताव रखा है, यह प्रस्ताव लाने से पहले कई महिलाओ के लिए काम कर रही समितियों से सुझाव लिए गए, नारी सशक्तिकरण के कई उच्च स्तर पर काम करने वाली महिलाओ से सलाह मशवरा लेने के बाद लिया गया है, जैसे की गैर सरकारी संगठन जो महिलाओ के लिए सेवा कर अपने अपको समर्पित करती है,उनसे जुड़े मुद्दे उठाती है। महिलाओ के खिलाफ हो रहे दुर्व्यवहार और बाल विवाह , तथा शिक्षा स्वस्थ से जुड़े मुद्दों को सरकार तक पहुचँती है। ताकि सरकार उन मुद्दों पर एक्शन ले और सुधार करे, प्रस्तावित कानून देश के सभी वर्गो और धर्म पर लागू होगा , जून 2020 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा गठित जया जेटली समिति की सिफारिशों पर केद्रं सरकार ने लड़कियों के लिए विवाह निषेध संशोधन विधेयक को संसद के शीतकालीन सत्र में लोकसभा में पेश किया था। ऐसे ही सरकार ने कई महिलाओ एनजीओ से लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ने को लेकर सहमति विचारविमर्श ली, जिससे उन्होने सरकार को महिलाओ से जुड़े मुद्दों के बारे में बताया के क्यो उनकी महिलओ की शादी 18 वर्ष नही करनी चहिए, क्योकि 18 वर्ष में कुछ लड़कियाँ सही निर्णय लेने में सक्षम नही होती उनको इतनी समझ नही होती है की क्या गलत है क्या सही है। कम उम्र में शादी के बाद वो माँ जल्दी बन जाती है। जिसे उसकी सेहत पर भी असर पड़ता है, माँ बच्चे दोनो को नुकसान है। उम्र बढ़ने का इसलिए महिलाओ की उम्र 21 करने को लेकर पहले प्रस्ताव रखा गया, फिर अब हाल कारण एक भी बताया गया है, दुसरा कारण बेटियाँ आगे पढ़ सकती है जो वो बनना चाहे पुलिस, डॉक्टर,टीचर आदि ही में बेटियों के शादी की उम्र से जुड़ी जांचने वाली समीक्षा समिति का गठन हुआ है। लड़कियों की शादी
लड़कियों की शादी की उम्र जांचने वाली समिति का नेतृत्व करेगी महिला इकाई

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