Site icon IIMT NEWS, Hindi news, हिंदी न्यूज़ , Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest News in Hindi, Breaking News in Hindi, ताजा ख़बरें

दिल्ली का जीबी रोड आखिरकार आजकल क्यों चर्चा का केंद्र बना हुआ है

दिल्ली

दिल्ली

हाल में रिलीज हुई गंगूबाई काठियावाड़ी फिल्म विवादों में घिरा हुआ है। गंगूबाई के परिवार का कहना है कि वे रेड लाइट एरिया में रहती जरूर थीं, लेकिन सेक्स वर्कर नहीं थीं। अब परिवार वाले परेशान है कि चाहे वो कितनी ही सफाई दें, सब उन्हें वेश्या के बच्चे ही मानेंगे। ये तो हुई गंगूबाई की बात, लेकिन वाकई में लाल बत्ती इलाके में रहना कैसा होता है, इसे समझने के लिए हमने दिल्ली के जीबी रोड की पड़ताल की, जो देश के कुछ सबसे बड़े रेड लाइट इलाकों में शुमार है।


गुजरात के काठियावाड़ में जन्मी गंगूबाई काठियावाड़ी इन दिनों सुर्खियों में बनी हुई हैं। उनकी जिंदगी पर बनी फिल्म को लेकर काफी विवाद हो रहा है। गंगूबाई काठियावाड़ी के परिवार वालों ने फिल्म बनाने वालों पर पैसों के लालच में परिवार को बदनाम करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि फिल्म में सोशल वर्कर रह चुकी गंगूबाई काठियावाड़ी को एक सेक्स वर्कर की भूमिका में दिखाया गया है। परिवार वाले इसके लिए कोर्ट भी गए हैं। गंगूबाई का असली नाम गंगा हरजीवनदास कठियावाड़ी था। उनका जन्म 1939 में हुआ। वे वकीलों के खानदान में पैदा हुई थीं। उनकी शुरुआती स्कूली शिक्षा गुजरात के ही एक सरकारी स्कूल में हुई थी। इसके बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। उनके परिवार के लोग चाहते थे कि वे पढ़ लिखकर सफल हों और नाम कमाएं लेकिन उनका मन बढ़ाई में बिल्कुल भी नहीं लगता था।
ये चमचमाती दिल्ली का वो चेहरा है, जहां की तंग गलियां और पलस्तर झरती दीवारें अपना दर्द खुद बयां करती हैं। पान की पीक से सजी बिल्डिंगों के पहले फ्लोर पर ऑटोमोबाइल की दुकानें हैं और दूसरी मंजिल पर औरतों की दुकानें, संकरी सीढ़ियों से होते हुए वहां जाना होता है।


अजमेरी गेट से लेकर लाहौरी गेट तक फैले इस इलाके में लगभग 30 पुरानी इमारतों के दड़बेनुमा कमरों में वेश्यालय चलते हैं। हर कमरे के सामने लोहे की जालीदार खिड़की है, जो सड़क पर खुले। इसी खिड़की से हाथ के इशारे करके, आवाजें निकालकर, या शरीर का कोई हिस्सा झलकाकर औरतें अपने ग्राहक बुलाती हैं। ग्राहक यानी सड़क पर चलते लोग, दफ्तर से लौटते लोग, नशे में धुत लोग, या फिर ‘जरूरत’ मिटाने को भटकते लोग।


सड़क का खौफ इतना भयानक होता है कि कोई कैब भरी दोपहर में भी वहां जाने को तैयार नहीं हुई। एक के बाद एक 4 ड्राइवरों ने बुकिंग कैंसल की। आखिरकार एक ऑटोवाले को पकड़ा, जो राजी तो हुआ, मगर इस शर्त पर कि वो मुझे अजमेरी गेट पर ही छोड़ देगा।

Exit mobile version