आईआईएमटी में तीन दिवसीय ‘भारत फिल्म फेस्टिवल’ का शुभारंभ

              

राजतिलक शर्मा

(ग्रेटर नोएडा) शहर के नॉलेज पार्क स्थित आईआईएमटी कॉलेज समूह और एईजीडी फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की क्रांतितीर्थ श्रृंखला के तहत आईआईएमटी परिसर में तीन दिवसीय “भारत फिल्म फेस्टिवल 2024” की बुधवार को शुरुआत हुई। फिल्म फेस्टिवल में मुख्य अतिथि के रूप में जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र के डॉयरेक्टर आशुतोष भटनागर, गेस्ट ऑफ प्राइम के रूप में तात्या टोपे के प्रपौत्र डॉ राजेश टोपे, गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में फिल्म डॉयरेक्टर कामाख्या एन सिंह, एईजीडी के फाउंडर अश्विनी कुमार त्यागी, उड़ान एनजीओ की संयोजक डॉ श्रुति मिश्रा और मुख्य वक्ता के रूप में प्रफुल्ल केतकर का स्वागत आईआईएमटी कॉलेज समूह के प्रबंध निदेशक डॉ. मयंक अग्रवाल ने फूलों का गुलदस्ता देकर किया।

इस मौके पर आशुतोष भटनागर ने कहा कि भारत के अमृतकाल में आज से 25 साल बाद जब हम स्वतंत्रता की शताब्दी मना रहे हो भारत को हम जहां लेकर जाना चाहते है वहा ले जाएं। इसके लिए कलम और कैमरे से राष्ट्र का निर्माण हो सकता है।

वहीं फिल्म डॉयरेक्टर कामाख्या एन सिंह ने फिल्मों निर्माण पर बात करते हुए कहा कि फिल्म निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण का रिसर्च करने वाले का होता क्योंकि वह अपनी मेहनत से छोटे से छोटे बिंदुओं पर काम करता है। तब जाकर उस पर कोई फिल्म बनती है। इस दौरान के तात्या टोपे के प्रपौत्र डॉ राजेश टोपे ने भारत के प्राचीन इतिहास पर प्रकाश डाला। वहीं प्रफुल्ल केतकर ने भी छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत का ऐसा इतिहास लिखा गया है कि जैसे 1857 से 1947 तक जो कुछ हुआ वह हुआ। उससे पहले या बाद में देश के अंदर कुछ हुआ ही नहीं। वहीं तिलक स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर प्रशांत कुमार ने भी छात्रों के समक्ष अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि कहा जाता है कि फिल्मे समाज का दर्पण है लेकिन कई अवसरों पर लगता समाज में एक नैरेटिव सेट करने का प्रयास किया है। फिल्मों ने बिहार की छवि को एक दूसरे तरीके से ही पेश किया है। इस दौरान दिल्ली-एनसीआर सहित देश से करीब 60 से अधिक फिल्मों का रजिस्ट्रेशन हुआ। इस मौके पर सभी कॉलेज के डॉयरेक्टर, डीन, एचओडी सहित अनेक छात्र मौजूद रहे।

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