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रुपए में कमजोरी का सिलसिला बरकरार, देश में आयात होगा

रुपया

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रुपए में कमजोरी का सिलसिला बरकरार है। शुक्रवार को रुपया अब तक के सर्वकालिक निचले स्तर को भी पार करते हुए 82 रुपए के पार चला गया। रुपया फिलहाल 33 पैसे की गिरावट के साथ डॉलर के मुकाबले 80.22 रुपए पर कारोबार कर रहा है। इससे पिछले सेशन में रुपया 81.88 रुपए के लेवल पर बंद हुआ था। डॉलर के मुकाबले रुपए ने पहली बार 23 सितंबर 2022 को 81 रुपए का लेवल छुआ था। उससे पहले 20 जुलाई को यह 80 रुपए का लेवल पार कर गया था। बाजार के जानकारों के मुताबिक डॉलर इंडेक्स में आई मजबूती के चलते अन्य दूसरी करेंसीज पर दबाव बढ़ा है।

ग्लोबल मार्केट में जारी अनिश्चित माहौल, डॉलर के मजबूत होने और फेड के रेट बढ़ाने के फैसलों के बीच के बीच रुपये में इस वर्ष अब तक 10.6% की गिरावट आ चुकी है। बता दें कि शिकागो फेड के अध्यक्ष चार्ल्स इवांस ने गुरुवार को कहा कि फेड की नीति दर 2023 के वसंत तक 4.5%-4.75% की ओर बढ़ने की संभावना है क्योंकि फेड बहुत अधिक मुद्रास्फीति को नीचे लाने के लिए उधार लेने की लागत में बढ़ोतरी करता है।

रुपये के कमजोर होने से देश में आयात महंगा हो जाएगा। इससे कारण विदेशों से आने वाली वस्तुओं जैसे- कच्चा तेल, मोबाइल, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स आदि महंगे हो जाएंगे। अगर रुपया कमजोर होता हैं तो विदेशों में पढ़ना, इलाज कराना और घूमना भी महंगा हो जाएगा।

गौरतलब है कि रुपये की कीमत इसकी डॉलर के तुलना में मांग और आपूर्ति से तय होती है। इसके साथ ही देश के आयात और निर्यात पर भी इसका असर पड़ता है। हर देश अपने विदेशी मुद्रा का भंडार रखता है। इससे वह देश के आयात होने वाले सामानों का भुगतान करता है। हर हफ्ते रिजर्व बैंक इससे जुड़े आंकड़े जारी करता है। विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति क्या है, और उस दौरान देश में डॉलर की मांग क्या है, इससे भी रुपये की मजबूती या कमजोरी तय होती है।

जानकारों के मुताबिक डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में ताजा गिरवाट की वजह वजह यूएस फेड के द्वारा ब्याज दरों को बढ़ाया जाना है। वहीं विदेशी मुद्रा कारोबारियों के मुताबिक विदेशी बाजारों में अमेरिकी डॉलर की मजबूती और घरेलू शेयर बाजार में गिरावट का स्थानीय मुद्रा पर असर पड़ा है। इसके अलावा कच्चे तेल के दामों में मजबूती और निवेशकों की जोखिम न लेने की प्रवृत्ति ने भी रुपये को प्रभावित किया है।

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