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हिंदी साहित्य परिषद ने सुविख्यात लेखक प्रो. अरुण कुमार भगत को विश्व वागेश्वरी सम्मान से नवाजा

विश्व वागेश्वरी सम्मान

विश्व वागेश्वरी सम्मान

मोहित कुमार : हिंदी साहित्य परिषद के द्वारा बिहार लोकसेवा आयोग के सदस्य और सुविख्यात लेखक प्रोफेसर अरुण कुमार भगत को विश्व वागेश्वरी सम्मान से नवाजा गया। यह सम्मान विश्व हिंदी साहित्य परिषद द्वारा देश-दुनिया में हिन्दी समेत भारतीय भाषाओं और संस्कृति के विस्तार, विकास और उत्कर्ष में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रतिवर्ष दिया जाता है। इस वर्ष कार्यक्रम का आयोजन नोएडा स्थित प्रेरणा शोध संस्थान में 27 दिसंबर, 2021 को किया गया। कार्यक्रम में हिन्दी समेत भारतीय भाषाओं के कई मूर्धन्य विद्वानों ने हिस्सा लिया और अपनी बातें रखीं। विश्व वागेश्वरी सम्मान समारोह की अध्यक्षता  यूपी उत्तराखंड के प्रचार प्रमुख डॉ कृपाशंकर ने की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रो (डॉ) अरुण कुमार भगत, सम्मानित अतिथि प्रोफेसर (डॉ) अनिल निगम और विश्व हिंदी साहित्य परिषद के अध्यक्ष डॉ आशीष कंधवे ने भी अपने विचार रखे।

डॉ कृपाशंकर ने प्रोफेसर भगत के रचनात्मक और संगठनात्मक कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि बड़ी उपलब्धि हासिल करने के लिए परिश्रम के पराकाष्ठा की जरूरत होती है और यह काम प्रोफेसर भगत ने कर दिखाया है। इसके अलावा डॉ. निगम अनिल कुमार निगम ने अपने संबोधन में गहरी मित्रता का जिक्र करते हुए कहा कि मेरे जीवन की सफलता का मुख्य श्रेय कुमार भगत को जाता है। इस सीढ़ी तक पहुंचाने में उन्होंने दोस्ती के साथ मार्गदर्शक के रूप में अपना स्नेह प्रदान किया। अंत में उन्होंने कहा कि सत्य और संघर्ष की पराकाष्ठा पर चलकर भगत ने जो सफलता हासिल की है, ईश्वर उन्हें आगे भी लेकर जाए। इसी कड़ी में आशीष कंधवे ने सभी का आबार करते हुए अपनी विचारधारा को प्रस्तुती की।

विश्व वागेश्वरी सम्मान प्राप्त करने के बाद भगत ने अपने संबोधन में सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस सम्मान के काबिल नहीं ता, फिर भी मुझे इस काबिल समझा गया इस पर में मंच और कार्यक्रम में उपस्थित सभी का हृदय से आभार व्यक्त करपता हूं। उन्होंने कहा कि इस सम्मान के बाद मेरा उत्तरदायित्व और बढ़ गया है। भविष्य में इस सम्मान की मर्यादा को प्रतिस्थापित करने के लिए जप तप और संघर्ष के हर मुकाम पर खरा उतरने के प्रयास करूंगा।  गौरतलब है कि प्रोफेसर भगत ने आपातकाल समेत भारतीय भाषा, संस्कृति, राष्ट्रवाद समेत अनेक गंभीर विषयों पर गहन शोध किया है। उनकी लगभग दो दर्जन पुस्तकें पाठकों के सामने आ चुकी हैं।

विश्व हिंदी साहित्य परिषद की स्थापना डॉ आशीष कंधवे ने 2010 में की थी। यह भारत सरकार के न्यास पंजीयन कानून के तहत एक पंजीकृत संस्था है। परिषद भारत के साथ-साथ दुनिया के कई देशों में हिन्दी समेत भारतीय भाषाओं, साहित्य और संस्कृति के संवर्धन, संरक्षण और संप्रेषण के विस्तार और मजबूती के लिए काम कर रही है। परिषद देश-विदेशों में 100 से अधिक चर्चाओं, सेमिनारों और सम्मेलनों का आयोजन कर चुकी है और इन कार्यों को लगातार अंजाम दे रही है। इससे बड़ी संख्या में देश-दुनिया के विचारक, चिंतक, साहित्यकार, भाषाविद, पत्रकार और शोधार्थी जुड़े हुए हैं।

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