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सुनीता विलियम्स का यान फ्लोरिडा के समुद्र तल पर उतरा, भारत सहित पूरी दुनिया में खुशी का माहौल

राजतिलक शर्मा

(ग्रेटर नोएडा) अंतरिक्ष में नौ महीने का लंबा सफर पूरा करने के बाद भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर सहित चार अंतरिक्ष यात्री सकुशल करीब साढ़े तीन बजे फ्लोरिडा के समुद्र तल पर अपने यान से उतर चुके हैं। बता दें कि उनका स्पेसक्राफ्ट स्टारलाइनर क्रू टेस्ट फ्लाइट शुक्रवार रात 10:35 बजे अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) से सफलतापूर्वक अलग हो गया। मिशन की प्रमुख बातें

यह मिशन नासा और बोइंग द्वारा संचालित स्टारलाइनर क्रू टेस्ट फ्लाइट का हिस्सा था।

इसका मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष यात्रियों के लिए सुरक्षित और कुशल स्पेस ट्रैवल तकनीकों का परीक्षण करना था।

इस दौरान सुनीता विलियम्स ने वैज्ञानिक प्रयोगों, तकनीकी परीक्षणों और माइक्रोग्रैविटी में विभिन्न अनुसंधानों को सफलतापूर्वक पूरा किया।

यह मिशन लगभग 9 महीने तक चला, जिसमें कई महत्वपूर्ण अंतरिक्ष प्रयोगों को अंजाम दिया गया।

वापसी का सफर और लैंडिंग की तैयारी

अब जबकि स्पेसक्राफ्ट स्पेस स्टेशन से अलग हो चुका है, इसके अगले 19 घंटे बेहद अहम हैं। यान को सटीक मार्गदर्शन और नियंत्रित गति से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कराना होगा। लैंडिंग से पहले यान का हीट शील्ड सक्रिय होगा, जिससे यह वायुमंडल में घर्षण के कारण अत्यधिक गर्म होने से बच सके।

लैंडिंग की सफलता सुनिश्चित करने के लिए नासा की टीमें समुद्र में तैनात की गई हैं, ताकि यान के पृथ्वी पर उतरते ही क्रू को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके।

सुनीता विलियम्स: एक गौरवशाली करियर

सुनीता विलियम्स को अंतरिक्ष में सबसे लंबे समय तक रहने वाली महिलाओं में से एक माना जाता है। उनके नाम कई रिकॉर्ड दर्ज हैं—

अंतरिक्ष में 322 दिन बिताने का रिकॉर्ड।

7 से अधिक अंतरिक्ष यात्राएं (स्पेसवॉक) करने का अनुभव।

अंतरिक्ष में सबसे अधिक समय तक रहने वाली भारतीय मूल की महिला।

इस मिशन के दौरान भी उन्होंने अंतरिक्ष में रहने, काम करने और वैज्ञानिक अनुसंधानों को बेहतर बनाने के लिए कई प्रयोगों को अंजाम दिया।

नासा और वैज्ञानिक समुदाय की उम्मीदें

इस मिशन से न केवल नासा बल्कि वैश्विक अंतरिक्ष शोधकर्ताओं को भी अंतरिक्ष में मानव मिशनों की स्थिरता और प्रभावशीलता को समझने में मदद मिलेगी। बोइंग और नासा इस मिशन से मिले अनुभवों का उपयोग भविष्य के चंद्रमा और मंगल अभियानों की योजना बनाने में करेंगे।

भारत के लिए गर्व का क्षण

भारतीय मूल की होने के कारण सुनीता विलियम्स भारत में भी बेहद लोकप्रिय हैं। उनकी उपलब्धियां भारतीय युवाओं और वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणादायक हैं। उनके इस मिशन को लेकर भारत में भी उत्साह देखने को मिल रहा है।

अब सभी की निगाहें शनिवार सुबह की लैंडिंग पर टिकी हैं। नासा और बोइंग की टीम इस ऐतिहासिक वापसी के हर पहलू पर नजर बनाए हुए हैं। क्या यह मिशन पूरी तरह सफल रहेगा? क्या सुनीता विलियम्स की वापसी बिना किसी बाधा के पूरी होगी? इसके लिए कुछ ही घंटों का इंतजार बाकी है।

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