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वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश चौकसे ने दुनिया को कहा अलविदा

जय प्रकाश चौकसे

जय प्रकाश चौकसे

बॉलीवुड के जाने-माने फिल्म समीक्षक जय प्रकाश चौकसे का 83 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। आज बुधवार सुबह सवा 8 बजे के करीब उन्होंने आखिरी सांस ली। उन्होंने इंदौर में आखिरी सांस ली। उन्होंने पिछले हफ्ते अपने लोकप्रिय कॉलम ‘परदे के पीछे’ की अंतिम किस्त लिखी थी। खबरों के अनुसार, बीते कुछ वक्त से वह काफी बीमार चल रहे थे।


जय प्रकाश चौकसे के आखिरी लेख की हेडलाइन कुछ इस प्रकार थी- प्रिय पाठको… यह विदा है, अलविदा नहीं, कभी विचार की बिजली कौंधी तो फिर रूबरू हो सकता हूं, लेकिन संभावनाएं शून्य हैं’। जय प्रकाश चौकसे के जाने से उनके चाहने वाले काफी मर्माहत हैं। सोशल मीडिया पर जय प्रकाश चौकसे को श्रद्धांजलि दी जा रही है।


बता दें कि वे पिछले काफी समय से कैंसर से पीड़ित थे। उन्हें सिनेमा का एनसाइक्लोपीडिया माना जाता था। जयप्रकाश चौकसे बीते 26 साल से ‘दैनिक भास्कर’ में ‘परदे के पीछे कॉलम’ लिख रहे थे। उन्होंने उपन्यास ‘दराबा’, ‘महात्मा गांधी और सिनेमा’ और ‘ताज बेकरारी का बयान’ भी लिखे। ‘उमाशंकर की कहानी’, ‘मनुष्य का मस्तिष्क और उसकी अनुकृति कैमरा’ और ‘कुरुक्षेत्र की कराह’ उनकी कहानियां हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनके निधन पर शोक जताया है।


जय प्रकाश चौकसे सिर्फ फिल्म समीक्षक नहीं थे बल्कि एक स्थापित उपन्यासकार और लेखक भी थे। दैनिक भास्कर अखबार में उनका कॉलम ‘पर्दे के पीछे’ खासा लोकप्रिय माना जाता था। इसके अलावा उन्होंने दराबा और ताज बेकरारी नाम के उपन्यास भी लिखे थे। इसके साथ ही राज कपूर के जीवन पर आधारित एक किताब का लेखन भी किया था, जिसका शीर्षक, ‘राजकपूर: सृजन प्रक्रिया’ था। उन्होंने फिल्म निर्माण से लेकर फिल्म रियलिटी शो के लिए स्क्रिप्ट राइटिंग का काम भी किया था। इसके अलावा वह फिल्म डिस्ट्रीब्यूशन बिजनेस से भी जुड़े रहे। लेकिन उनकी असली पहचान फिल्म पत्रकार के रूप में ही रही। चौकसे ने सलमान खान अभिनीत बॉडीगार्ड फिल्म की कहानी भी लिखी थी, और वह बॉक्स ऑफिस पर बेहद सफल फिल्म रही थी.

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