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आरएसएस के 96वें स्थापना दिवस पर सरसंघचालक का संबोधन

राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने संघ के 96वें स्थापना दिवस के मौके पर आज कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने कश्मीर से लेकर संस्कृति तक सभी विषयों पर विस्तार से बातचीत की। सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि हम ऐसी संस्कृति नहीं चाहते जिससे विभाजन को बढ़ावा मिले, बल्कि हमें ऐसी संस्कृति की तलाश है जो भारत को एक साथ बांधकर रखे और प्रेम को बढ़ावा दे।

स्वतंत्रता रातों-रात नहीं मिली– भागवत

भागवत ने भारत की स्वतंत्रता के विषय पर बात करते हुए बताया कि 15 अगस्त 1947 को हमें स्वतंत्रता मिली लेकिन य़े खुशी हमें रातों-रात नहीं मिली। उन्होंने कहा कि जिस दिन हम स्वतंत्र हुए उस दिन स्वतंत्रता के आनंद के साथ हमने एक अत्यंत वेदना भी अपने मन में अनुभव की वो दर्द अभी तक गया नहीं है।


आजादी के उपरांत मिला विभाजन

भागवत ने भारत की आजादी के विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि 15 अगस्तो भारत आजाद हुआ लेकिन आजादी के उपरांत हमें विभाजन मिला। विभाजन का दर्द इतना गहरा था कि अभी तक उसकी टीस जा नहीं पाई। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि हमारी आने वाली पीढ़ियों को इतिहास के विषय़ में जानना चाहिए कि आखिर कैसे देश स्वतंत्र हुआ और कैसे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया।

नशीले पदार्थों से युवाओं को कराया जाए मुक्त

भागवत ने युवाओं के विषय पर चर्चा करते हुए देश में इन दिनों प्रचलित ड्रग्स केसों पर चिंता जाहिर करते हुएस कहा कि नई पीढ़ी में नशीले पदार्थ खाने की लत लग रही है। बड़े से लेकर छोड़े तक इस काम में व्यस्त हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में हमारी कोशिश होनी चाहिए कि किसी भी तरह से देश के युवाओं को ड्रग्स के दायरे से बाहर निकाला जाए।


ओटीटी प्लेटफॉर्म पर नियंत्रण करे सरकार

सरसंघचालक मोहन भागवत ने कोरोनाकाल के दौरान बढ़े ओटीटी प्लेटफॉर्म के यूज पर चर्चा करते हुए सरकार को नियंत्रण करने की नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि कोविड के दौरान ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा दिया गया है। इसलिए बच्चों के हाथों में स्मार्टफोन्स हैं लेकिन ओटीटी पर नियंत्रण नहीं है। उन्होंने भारत सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि ओटीटी के लिए सामग्री नियामक ढांचा के तहत हो। सरकार को इसके लिए प्रयास करना चाहिए।

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