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नवजोत सिंह सिद्धू की नई पारी अब जेल में

सिद्धू

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अनुराग दुबे : पूर्व भारतीय क्रिकेटर और नेता नवजोत सिंह सिद्धू क्रिकेट से लेकर राजनीति में कई पारियां खेल चुके हैं। भारतीय क्रिकेट में भी उन्होंने कई यादगार पारियां खेली हैं। उनका राजनीतिक जीवन भी अच्छा रहा है। लेकिन सिद्धू को अब जीवन की एक और पारी को खेलने की चुनौती रहेगी। सिद्धू को 1 साल की जेल हुई है। जेल की पारी को वो कैसे झेलते हैं, वो देखने वाली विषय होगी। पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू को बीते गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक साल की सजा सुनाई है। 1988 के रोड रेज मामले के अन्तर्गत उन्हे सजा सुनाई गयी है। दरअसल 2018 में इसी मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू पर 1000 रुपये का जुर्माना लगाया था। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ ने कहा कि 2018 के फैसले में एक त्रुटी है, जिसको सुधारने की आवश्यकता है। इनकी कद काठी काफी अच्छी थी साथ ही वो एक अंतराष्ट्रीय क्रिकेटर थे, इसलिए दोषी को सिर्फ 1000 रुपये का दंड नहीं लगाना चाहिए था। सिद्धू ने अपने से दोगुने उम्र की व्यक्ति को गंभीर चोट पहुंचाया था। कोर्ट ने कहा कि क्रिकेटर, मुक्केबाज, पहलवान और फिट व्यक्ति का हाथ भी कई बार हथियार बन जाता है। इनके उपर धारा 323 लगी है। धारा 323 गंभीर चोट पहुंचाने पर लगती है। कोर्ट ने सिद्धू को इस धारा के अन्तर्गत दी जाने वाली अधिकतम 1 वर्ष की सजा को लगाया है। इनके उपर लगे मर्डर के आरोप को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने अपने 22 पन्ने के रिपोर्ट में संस्कृत के एक श्लोक को भी डाला है।यथावयो यथाकालं यथाप्राणं च ब्राह्मणे।
प्रायश्चितं प्रदातव्यं ब्राह्मणैर्धर्धपाठकैऱ्।।
येन शुद्धिमवाप्रोति न च प्राणैर्विज्युते।
आर्ति वा महती याति न चचैतद् व्रतमहादिशे।।
इसका अर्थ यह है कि प्राचीन धर्म शास्त्र भी कहते रहे हैं कि पापी को उसकी उम्र, समय और शारीरिक क्षमता के मुताबिक दंड देना चाहिए। दंड ऐसा भी नहीं हो कि वो मर ही जाए, बल्कि दंड तो उसे सुधारने और उसकी सोच को शुद्ध करने वाला हो। पापी या अपराधी के प्राणों को संकट में डालने वाला दंड नहीं देना उचित है।

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