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राजनीतिक चर्चा में बना पर्यटन का मालदीव, कभी थे अच्छे संबंध, आज बदल रहे हैं हालात

रोशनी (ग्रेटर नोएडा) समय था 1965 का जब मालदीव अंग्रेजी हुकूमत से स्वतंत्र हुआ। भारत सहित कई देशों ने मालदीव को एक स्वतंत्र राज्य का दर्जा दिया था। इसी के साथ भारत और मालदीव के बीच सहयोगात्मक संबंधों की स्थापना हुई थी। दोनों देशों के बीच के संबंधों के इतिहास पर बात करें तो यह लगातार दोस्ताना रहा है। मालदीव के कई मंत्रियों द्वारा समय-समय पर भारत की यात्राएं की गई है।

मालदीव गणराज्य,  298 क्षेत्रफल में फैले, हिन्द महासागर में स्थित एक द्वीप देश हैं, जिसका फैलाव भारत के लक्षद्वीप टापू की उत्तर-दक्षिण दिशा में है। यह लक्षद्वीप सागर में स्थित है, यह श्री लंका की दक्षिण-पश्चिमी दिशा से करीब सात सौ किलोमीटर दूरी पर है।

मालदीव पर बढ़ी चर्चा का कारण प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लक्षद्वीप के पर्यटन को बढ़ावा देने वाली अपनी तस्वीरों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म  X पर साझा करना। तस्वीरों को साझा करना एक सामान्य बात थी लेकिन यह मुद्दा तब बना जब मालदीव के तीन मंत्रियों ने प्रधानमंत्री की पोस्ट की गई तस्वीरों पर आपत्तिजनक टिप्पणियां की। बरहाल, मालदीव की सरकार ने पहले अपने मंत्रियों की बात को उनकी निजी राय बताई, लेकिन मामले को बढ़ता देख मालदीव सरकार ने अपने तीनों मंत्रियों मलशा शरीफ, मरियम शिउना और अब्दुल्ला महजूम माजिद को निलंबित कर दिया है। हालांकि मामला की गम्भीरता बढ़ती नजर आ रही है। आज भले ही दोनों देशों के बीच असंतोष का माहौल बना हुआ है लेकिन इतिहास ऐसा नहीं कहता इतिहास में मालदीव से जुड़ी हर घटना भारत और मालदीव के बीच के संबंधों में सामरिक, आर्थिक, और सैन्य सहयोग को दर्शाती है। हम बात करें 1988 में मालदीव में आए तख्तापलट के संकट की, जिसे भारत द्वारा ऑपरेशन कैक्टस की मदद से विफल किया गया था। याद करें 2014 में आए मालदीव में जल कमी संकट की जिसमें मालदीव ने भारत से तत्काल मदद का आग्रह किया और भारत ने बचाव के लिए सी-17 ग्लोबमास्टर III , आईएल-76 जैसे भारी लिफ्ट ट्रांसपोर्टरों से बोतलबंद पानी लेकर भेजा। समय था वैश्विक महामारी, कोविड-19 संकट का जिसमें भारत ने मालदीव को वित्तीय, सामग्री और साजो-सामान की सहायता दी। भारत और मालदीव, आर्थिक संबंधों पर भी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। मालदीव में भारत की एक बड़ी आबादी पर्यटन बन मालदीव की इकोनॉमी को बढ़ाती है।

हर साल भारत से लाखों की संख्या में लोग घूमने और छुट्टियां बिताने मालदीव जाते हैं। ऐसे में पूरी दुनिया से मालदीव आने वाले कुल पर्यटकों की संख्या में सर्वाधिक संख्या भारतीयों की रहती हैं। 2023 में, भारत से 1 लाख 93 हजार पर्यटक मालदीव गये, जो यहां आये कुल पर्यटकों की संख्या में भारत दूसरा देश था।

2022 में, 2 लाख 41 हजार पर्यटक भारत से मालदीव गये, जो यहां आये कुल पर्यटकों की संख्या में भारत पहला देश था।

2021 में, 2 लाख 91 हजार पर्यटक भारत से मालदीव गये, जो यहां आये कुल पर्यटकों की संख्या में भारत पहला देश था।

मालदीव में पर्यटन सबसे बड़ा आथिर्क उद्योग है, जो इसके सकल घरेलू उत्पाद का 28% है। यह विदेशी मुद्रा राजस्व अर्जित करने और देश के तृतीयक क्षेत्र में 25,000 लोगों को रोजगार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

भारत और मालदीव के विवाद के चलते

सोशल मीडिया पर #बॉयकॉट मालदीव लगातार ट्रेंड पर बना हुआ है। इसी के साथ मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारियां चल रही है। मालदीव के संसदीय अल्पसंख्यक नेता अली अज़ीम ने राष्ट्रपति को हटाने की पहल की है।

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