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जानिए रक्षाबंधन क्यों मनाते हैं

रक्षाबंधन

रक्षाबंधन

अंकित कुमार तिवारी। राखी का त्योहार हिन्दू पंचांग के अनुसार हर वर्ष सावन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन के खट्टे-मीठे और सौहार्दपूर्ण रिश्ते की याद दिलाता है। इस दिन बहनें भाई के तिलक करके उसके राखी बांधकर लंबी उम्र की कामना करती हैं और भाई अपनी बहनों की प्रतिष्ठा की सदा रक्षा करने का वचन देता है। इस साल 11 और 12 अगस्त 2022 को सुबह 07 बजे सुबह को राखी मनाई जाएगी। इस त्योहार को मनाने के पीछे कुछ प्रचलित कथाएं भी जुड़ी हुई हैं। तो आइए जानते हैं कैसे रक्षाबंधन की शुरुआत हुई।
एक पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि प्राचीन समय में एक बार जब दैत्यों के राजा बलि ने देवताओं पर आक्रमण किया था तब इसे देख देव इंद्र की पत्नी सची काफी परेशान हो गईं थीं। राजा बलि द्वारा देवगणों को परेशान करता देख और इस युद्ध में देवताओं की विजय के लिए सची ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। इसके बाद भगवान विष्णु ने सची को एक धागा देकर कहा कि इसे अपने पति इन्द्र की कलाई पर बांध देना जिससे वह जीत जाएंगे। सची ने विष्णु जी के कहे अनुसार इन्द्र देव की कलाई पर वो धागा बांध दिया और उस युद्ध में उन्होनें राजा बलि को पराजित कर दिया। तभी से मान्यता है कि बहनें अपने भाई की और पत्नियां अपने पति को रक्षा सूत्र बांधकर उनकी लंबी उम्र और विजय की कामना करती हैं।
एक अन्य कथा के अनुसार, अपनी बुआ के पुत्र शिशुपाल के 100 अपराध पूरे होने के बाद जब श्री कृष्ण उसे मारने के लिए शिशुपाल के साथ युद्ध कर रहे थे तो उस दौरान श्री कृष्ण की तर्जनी उंगली कट जाने के कारण उससे खून बहने लगा। तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी के पल्लू का टुकड़ा फाड़कर भगवान कृष्ण के हाथ पर बांध दिया था। उस समय ही श्री कृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा करने का वचन दिया। इसके बाद श्री कृष्ण ने अपने इसी वचन के तहत राजा धृतराष्ट्र के दरबार में द्रौपदी के चीरहरण के समय उसके सम्मान की रक्षा की थी। मान्यता है कि तब से यह त्योहार मनाया जा रहा है।

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