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जानिए फुलेरा दूज का महत्व और इस बार का शुभ मुहूर्त

फुलेरा दूज

फुलेरा दूज

छाया सिंह। फुलेरा दूज का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। मान्यता है, कि इस दिन से भगवान कृष्ण ने फूलों की होली खेलनी शुरू की थी। यही कारण है कि मथुरा-वृंदावन समेत पूरे ब्रज में फुलेरा दूज से ही होली मनाई जाने लगती है, वहीं ब्रज में इस दिन राधा-कृष्ण पर जमकर फूल बरसाए जाते हैं व माखन मिश्री का भोग भी लगाया जाता है। फुलेरा दूज किसी शुभ कार्य जैसे सगाई या विवाह के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। तो चलिए जानते हैं,  फुलेरा दूज में मांगलिक और शुभ काम करने का शुभ मुहूर्त। 

फुलेरा दूज 2023 शुभ मुहूर्त

फुलेरा दूज द्वितीया तिथि आरंभ-  21 फरवरी 2023, मंगलवार को सुबह 09 बजकर 04 मिनट पर शुरू

द्वितीया तिथि का समापन- 22 फरवरी को सुबह 05 बजकर 57 मिनट पर होगा।

गोधूलि मुहूर्त – 21 फरवरी को शाम 06 बजकर 13 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 38 मिनट तक

फुलेरा दूज को कर सकते हैं मांगलिक काम

शास्त्रों के अनुसार, फूलेरा दूज के दिन शुभ और मांगलिक कामों को करने शुभ फलों की प्राप्ति होगी। इस समय गुरु बृहस्पति उदय है। इसलिए शादी-विवाह जैसे मांगलिक काम करना शुभ होगा। इसके अलावा मुंडन, छेदन, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना शुभ साबित होगा। आप चाहे तो फुलेरा दूज के दिन नए बिजनेस की भी शुरुआत कर सकते हैं।

फुलेरा दूज मनाने का कारण

शास्त्रों के अनुसार, एक बार भगवान कृष्ण अधिक व्यस्त थे जिसके कारण काफी लंबे समय तक राधा रानी से नहीं मिल पाए थे। ऐसे में राधा रानी काफी उदास रहने लगी थी। राधा रानी के उदास रहने से प्रकृति पर बुरा असर पड़ने लगा था। ऐसे में पेड़, पौधे, फूल, वन आदि धीरे-धीरे सूखने लगे थे. प्रकृति का ऐसा रूप देखकर भगवान कृष्ण को इस बात का अंदाजा हो गया कि राधा रानी कितना उदास है। ऐसे में श्री कृष्ण राधा रानी से मिलने बरसाना पहुंचे और राधा रानी से मिले। यह देखकर फिर से प्रकृति खिल गई। फिर भगवान कृष्ण से एक फूल तोड़कर राधारानी के ऊपर फेंक दिया। फिर राधारानी से भी एक फूल श्रीकृष्ण के ऊपर फेंक दिया। इसके बाद गोपियों ने भी खुश होकर फूल एक-दूसरे में फेंके। ऐसे हर तरफ फूलों की होली खेली गई। जिस दिन फूलों की होली खेली गई उस दिन फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि थी। इसी के कारण हर साल इस दिन फूलों की होली को फुलेरा दूज के रूप में मनाते हैं।


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