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भारी बारिश के कारण हिमाचल प्रदेश में बादल फटने और भूस्खलन की बढ़ रहीं घटनाएं

लवी फंसवाल। अगर किसी पहाड़ी जगह पर 10 सेंटीमीटर से ज्यादा बारिश होती है, तो उसे बादल फटना कहते हैं। ऐसा ही हाल इस समय हिमाचल प्रदेश का है। भारी मात्रा में पानी का गिराव न केवल संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि इससे इंसानों की जान भी जोखिम में पड़ जाती है। हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में इस समय हाहाकार मचा हुआ है। बारिश के साथ-साथ बादल फटने की घटनाएं भयानक तबाही मचा रही हैं। इसी के साथ भूस्खलन से पहाड़ टूट रहे हैं, जिसके कारण मंडी, शिमला, कुल्लू, जिला सिरमौर और अन्य क्षेत्रों में हालात काफी बिगड़े हुए हैं। पिछली बार हुई भारी वर्षा से भी मंडी के हालात काफी ज्यादा बिगड़ गए थे। बच्चों की सुरक्षा को ध्यान रखते हुए स्कूल व कॉलेज भी बंद कर दिए गए हैं।

हिमाचल प्रदेश में इस बार बादल फटने और भूस्खलन के कारण करीबन 60 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। शिमला के समरहिल में भूस्खलन से जमींदोज हुए शिव बाड़ी मंदिर के मलबे से पांच और शव निकाले गए हैं। इस घटना में मृतकों की संख्या 13 पहुंच चुकी है और अभी तलाश अभियान जारी है।
इसी बीच हम आपको बता दें कि आखिर बादल फटना कहते किसको हैं? कैसे बदल फटता है? अगर किसी पहाड़ी स्थान पर एक घंटे में 10 सेंटीमीटर से अधिक बारिश होती है तो इसे बादल फटना कहते हैं। भारी मात्रा में पानी का गिराव न केवल संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाता है बल्कि इंसानों की जान पर भी भारी पड़ता है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के निदेशक मृत्युंजय महापात्रा कहते हैं कि बादल फटना एक बहुत छोटे स्तर की घटना है और यह अधिकतर हिमालय के पहाड़ी इलाकों या पश्चिमी घाटों में होती है। महापात्रा के अनुसार जब मानसून की गर्म हवाएं ठंडी हवाओं से मिलती हैं तो इससे बड़े बादल बनते हैं। ऐसा स्थलाकृति (टोपोग्राफी) या भौगोलिक कारकों के कारण भी होता है।

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