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राजस्थान में कुछ पार्टियां जारी कर रहीं सूची, तो कुछ सेट कर रही जीतने का गणित

लवी फंसवाल। राजस्थान की पार्टी में जहां बड़ी पार्टियों अपनी सूची जारी करने में लगी हैं। वहीं छोटे दल जीतने का गणित सेट कर रहे हैं। कुछ ऐसी भी पार्टियां हैं, जो चुनावी दंगल में कूदने की तैयारी में लगी है। इस असमंजस में दो पार्टियों के बीच गठबंधन का गणित बैठ भी गया है। आरएलपी और आजाद समाज पार्टी का गठबंधन दो समुदायों दलित मतदाता और जाट मतदाता को साथ लाता है, जिससे आने वाले चुनावों के समीकरण बदल भी सकते हैं।
आपको बता दें कि राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल और आजाद सपा पार्टी के चंद्रशेखर आजाद के साथ गठन हो गया है। दोनों पार्टियों में एक होकर विधानसभा के चुनाव में उतरने को तैयार हैं। अब सियासी गलियारों में चर्चा हो रही है कि दोनों दलों का यह गठन चुनावी समीकरण की भूमिका बदल सकता है। इससे पहले कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल की चर्चाएं भी जोर पकड़ चुकी थी।
आरएलपी और समाज आजाद पार्टी का यह गठन जाट और दलित मतदाताओं को साधने के प्रयास में है। यदि ऐसा होता है तो भाजपा और कांग्रेस के लिए चिंताजनक विषय है। राजस्थान में कुल आबादी का 10 फीसदी मतदाता जाट समुदाय है। जाट समुदाय के वोट का असर लगभग 40 सीटों पर होता है। वही बात करें दलित समुदाय की तो 18 प्रतिशत दलित मतदाता है। राजस्थान विधानसभा की 200 सीट में से 33 सीट अनुसूचित जाति और 25 सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। अब अगर दलित मतदाता और जाट मतदाता एक साथ होते हैं तो आने वाले विधानसभा का चुनावी समीकरण बदल सकते हैं।
आजाद समाज पार्टी ने बानसूर से बीजेपी के दिग्गज नेता रोहिताश शर्मा को उम्मीदवार बनाया है। यह वही रोहित शर्मा है जो प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया के खिलाफ बयान बाजी के कारण भाजपा से निष्कासित हुए थे। इस बार आजाद समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

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