शरीर के मुख्य स्रोत नाक, कान, मुंह के माध्यम से फेफड़ो तक कीटाणु पहुंचते हा उसके बाद अपना प्रभाव डालना शुरु कर देते है। 2.5 पीएम फेफड़े के आंतरिक भाग को प्रभावित करता है। इसका असर सबसे अधिक बच्चों औऱ बुजुर्गो पर पड़ता है। इसके जरिए से आंख, कान औऱ गले में तकलीप बढने लगती है। इतना ही नहीं इससे कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी होने का खतरा भी बन जाता है।
दरअसल रोजमर्रा फैलने वाला प्रदूषण के साधनों में बिजली सयंत्रों की चिमनियों, मोटर गाड़ी, हवाई जहाज, समुद्री जहाज, बंदरगाह, जलने वाली लकड़ी, चूल्हा भट्टी, सामान्य तेल शोधन, कृषि औऱ वानिकी में रसायन तेल, स्प्रे, पेंटिंग, वॉर्निल, लैंड फिल में जा कचरा, परमाणु हथियार और रॉकेट आदि मुख्य जिम्मेदार है। इसके अलावा प्राकृतिक संसाधनों से भी प्रदूषण का खतरा बढ़ रहा है।पृथ्वी की पपड़ी नष्ट होने से रेडियोधर्मी क्षय से उत्पन्न रेडॉन गैसों से, जंगल की आग से पैदा होने वाले गैस और उससे निकलने वाली कार्बन गैसों से और ज्वालामुखी से भी होता है।