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ज्ञानवापी; मुस्लिम पक्ष ने 25 पेज की आपत्ति दाखिल कर कहा, औरंगजेब निर्दयी नहीं था

लवी फंसवाल। ज्ञानवापी के पूरे परिसर का, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के खिलाफ, मुस्लिम पक्ष के लोग सोमवार को जिला जज की अदालत में 26 पेज की याचिका दाखिल की। साथ ही कहा, मामले को खारिज कर दिया जाए। कोर्ट ने कुछ समय पहले कार्बन डेटिंग को रोकने और अगली सुनवाई के लिए, 2 महीने का समय दिया था। तभी से मुस्लिम पक्ष अपने सबूत इकट्ठे करने में लगा है।

आपको बतादें कि, ज्ञानवापी परिसर को लेकर हाईकोर्ट ने कुछ समय पहले फैसला सुनाया था, कि शिवलिंगनुमा आकृति की जांच हो। जिसके लिए उसकी कार्बन डेटिंग की जाए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस फैसले को बदल दिया। इसका कारण मुस्लिम पक्ष का सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करना भी था। सुप्रीम कोर्ट ने 2 महीने का समय देते हुए, हाईकोर्ट की कार्बन डेटिंग वाले आदेश पर रोक लगा दी। जिसके बाद सोमवार को मुस्लिम पक्ष के लोगों ने जिला जज की अदालत में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के सर्वे के खिलाफ 26 पेज की अर्जी दाखिल की। साथ ही मामले को खारिज करने की बात कही। उन्होंने अर्जी दाखिल करते हुए कहा, मुगल बादशाह औरंगजेब निर्दयी नहीं था। वर्ष 1669 में औरंगजेब के आदेश पर कोई भी मंदिर नहीं तोड़ा गया था। बतादें कि कोर्ट के आदेश अनुसार अब मामले की सुनवाई 7 जुलाई को होगी। अंजुमन इंतजामियां मस्जिद कमेटी के सचिव मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी की ओर से, जिला जज की अदालत में दाखिल याचिका में कहा गया, कि काशी में काशी विश्वनाथ के 2 मंदिरों की धारणा ने पहले थी, और न आज है। ज्ञानवापी परिसर में मिली सरंचना शिवलिंग नहीं, फुव्वारा है। उन्होंने आगे कहा, ज्ञानवापी मस्जिद हजारों वर्ष पुरानी है और वादीगणों ने दुर्भावनावस मुस्लिम शासकों कको आक्रमणकारी बताया है। जो सत्य से परे है। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट के अनुसार मामले की सुनवाई होने में 2 महीने का वक्त है।

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