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इन राज्यों में माध्यमिक स्तर पर ड्रॉपआउट सबसे अधिक

काजोल चौहान। एक आंकड़े में यह खुलासा हुआ है कि गुजरात, बिहार, कर्नाटक, आसाम और पंजाब इन 7 राज्यो में माध्यमिक स्तर पर स्कूल छोड़ने की दर इस साल पिछले साल से 12.6 प्रतिशत के राष्ट्रीय औसत से अधिक थी। यह जानकारी के लिए “समग्र शिक्षा” कार्यक्रम के कार्यनवचन पर चर्चा करने के लिए शिक्षा मंत्रालय के तहत आयोजित परियोजना अनुमोदन बोर्ड की बैठक एकत्रित की गई थी। यह बैठक इसी साल के मार्च और मई में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ हुई थी। पीएबी बैठक से पता चला है, कि 2021 -22 में माध्यमिक स्तर पर ड्रॉपआउट दर बिहार में 20.46 प्रतिशत, गुजरात में 17.85 प्रतिशत ,असम में 20.3 प्रतिशत , आंध्र प्रदेश में 16.7 प्रतिशत , तो वहीं पंजाब में 17.2 प्रतिशत थी, मेघालय में 21.7 प्रतिशत और इसके साथ ही कर्नाटक में 14.6 प्रतिशत है। पश्चिम बंगाल में, 2020 -21 से 2021-22 तक ड्रॉपआउट दर में काफी सुधार हुआ है। प्राथमिक स्तर पर ड्रॉपआउट दर को कम करने और माध्यमिक स्तर पर प्रतिधारण दर में सुधार करने के लिए प्राप्त उपाय जारी रखने की आवश्यकता है। देश की राजधानी दिल्ली में बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे हैं। एक दस्तावेज में कहा गया कि बाहर के स्कूली बच्चों का विवरण प्रबंध पोर्टल पर अपलोड किया जाना चाहिए। एक आंकड़े में पता चला है, कि मध्य प्रदेश में माध्यमिक स्तर पर ड्रॉपआउट दर 2020- 2021 में 23.8 प्रतिशत से घटकर 2021-22 में 10.1प्रतिशत हो गई है। यह राज्य हर साल एक मोबाइल ऐप की मदद से केंद्रीय घरेलू सर्वेक्षण के साथ एक विशेष नामांकन अभियान चलाता है। दूसरी तरफ महाराष्ट्र में माध्यमिक स्तर पर वार्षिक औसत ड्रॉपआउट दर 2020-21 में 11.2 प्रतिशत से घटकर 2021-22 में 10.47 प्रतिशत हो गई थी। उत्तर प्रदेश के बस्ती में ड्रॉपआउट दर 23.3 प्रतिशत ,बदायूं 19.1 प्रतिशत ,इटावा 16.9 प्रतिशत, गाजीपुर 16.6 प्रतिशत,एटा 16.2 प्रतिशत, महोबा 15.6 प्रतिशत, हरदोई 15.6 प्रतिशत, और आजमगढ़ 15 प्रतिशत है। दूसरी तरफ राजस्थान में ड्रॉपआउट दर लगातार घट रही है, लेकिन माध्यमिक स्तर पर अनुसूचित जनजातियों और मुस्लिम बच्चों के बीच अभी भी बहुत अधिक है। लड़कियों की स्कूल छोड़ने की वजह भारत मे 33 प्रतिशत लड़कियां घरेलू काम के कारण स्कूल छोड़ देती हैं। पैसों की कमी होने के कारण कई बच्चे स्कूल छोड़कर अपने माता-पिता के साथ मजदूरी करने लगते हैं और कुछ लोगों के घरों मैं सफाई करने लगते हैं।

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