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रामनवमी पर अयोध्या में श्रद्धालुओं ने रामलला के किए अलौकिक दर्शन

 नीशू सिंह

(ग्रेटर नोएड) इस बार की रामनवमी बहुत ही खास और विशेष है क्योंकि अयोध्या के राम मंदिर में रामलला का अयोध्या में पहला रामनवमी है। जिसे एक दिव्य तरीके से मनाया गया है, देशभर में बड़े ही धूमधाम से रामनवमी का पर्व मनाया गया है। कहा जाता है कि हर वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रामनवमी का पर्व मनाया जाता है। जिसे सभी श्रद्धालु मनोभाव से रामनवमी को मानते हैं, परंतु इस बार का रामनवमी बहुत खास है क्योंकि अयोध्या में रामनवमी के निर्माण के बाद यह पहला रामनवमी दिव्य तरीके से मनाया गया है। इसलिए अयोध्या के श्रद्धालुओं के भीड़ की कोई सीमा नहीं थी। प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलाल का पहला सूर्य तिलक किया गया है जिसे दोपहर 12:00 बजे अभिजीत मुहूर्त में रामलला का सूर्य तिलक किया गया। आपको बता दे कि यह सूर्य तिलक राम लाल के मस्तिष्क पर किस तरह पड़ा तो यह सूर्य तिलक फिजिक्स की एक खास तकनीक का इस्तेमाल करके किया गया है जिसका नाम ओप्टो मैकेनिकल  सिस्टम है इसको एक खास तरीके से इस्तेमाल किया गया है।

जिससे सूरज की किरणें गर्भगृह तक पहुंच सके, इसके लिए (सीबीआरआई) रुड़की सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों के टीमों ने मिलकर ये खास तैयारी की है । सीबीआई के वैज्ञानिकों ने ऑप्टो मैकेनिकल सिस्टम के द्वारा गर्भगृह में स्थापित रामलाल के मस्ताक्स पर सूर्य की किरणों को पहुंचाने के लिए एक रिफ्लेक्टर, दो दर्पण ,तीन लेंस और 8 से 9 मीटर लंबा पीतल पाइप का इस्तेमाल किया ।

जिसकी वजह से रामलाल के मस्तक पर सूर्य की किरण पहुंच पाई । इस वजह से रामलाल के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। अयोध्या के रामलला को( 1,11,111) एक लाख ग्यारह हजार एक सौ ग्यारह  किलो लड्डू का प्रसाद चढ़ाया गया। यह प्रसाद देवराहा हंस बाबा ट्रस्ट की तरफ से भेजे गए थे, उनके ट्रस्टी का नाम अतुल कुमार सक्सेना था उन्होंने ही (1,11,111) किलो लड्डू भेजे थे राम लाल को चढ़ाने के लिए।

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