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वाराणसी में सावन के पहले सोमवार मंदिरों में उमड़ी भक्तों की भीड़, गंगा में लगाई आस्था की डुबकी

वाराणसी

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छाया सिंह। सावन के पहले सोमवार को वाराणसी में गंगा नदी में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाकर भोलेनाथ का जलाभिषेक किया और सुख समृद्धि की कामना भी की। शिव मंदिरों में प्रातः काल से ही हर-हर, बम-बम बोले की गूंज भी सुनाई दी।
भगवान शिव का प्रिय सावन माह शुरू हो गया है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में भगवान शिव की विधिवत पूजा करने से हर एक मनोकामना पूर्ण होती है। सावन के पहले सोमवार से लेकर अंतिम सोमवार तक शिव भक्त व्रत और विशेष पूजा अर्चना भी करते हैं।
सावन के महीने में शिव भक्त कावड़ यात्रा में, हरिद्वार, ऋषिकेश, गौमुख से गंगाजल भरकर नंगे पैर दौड़ते और बम-बम भोले का जयकारा लगाते हैं। श्रद्धालुओं के द्वारा मंदिर में भगवान शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और नंदी की पूजा करने का विधान है। पूजा के दौरान पंचाम्रत से शिवजी का अभिषेक करना सबसे अच्छा माना गया है।

सावन में ऐसे करें भगवान शिव की पूजा
सावन के सोमवार का व्रत सूर्योदय से प्रारंभ होकर दोपहार के बाद तक किया जाता है। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें और साफ सुथरे वस्त्र धारण करें, उसके बाद भगवान शिव व पार्वती जी की पूजा करें।

क्या है, पूजा का सही समय
भगवान शिव का सर्वश्रेष्ठ पूजा का समय काल-प्रदोष माना गया है। सूर्यास्त से एक घंटा पहले व एक घंटे के बाद के समय को प्रदोषकाल कहते हैं। सावन में त्रयोदशी सोमवार का दिन प्रमुख हैं। भगवान शिव को भष्म, लाल चंदन, रुद्राक्ष, आक का फूल, धतूरे का फल, बेलपत्र व भांग विशेष प्रिय हैं। उनकी पूजा वैदिक, पौराणिक नाम के मंत्रों से की जाती है। जिसमें ऊँ नम: शिवाय का जाप या ऊँ नमो भगवते रुद्राय मंत्र से शिव पूजन कर सकते हैं, जिसमें शिवलिंग की आधी परिक्रमा भी करनी चाहिए।

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