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मध्यप्रदेश में कांग्रेस-सपा की रार, अखिलेश मैदान में उतार सकते हैं 50 प्रत्याशी

लवी फंसवाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और सपा दोनों ही अलग-अलग चुनाव लड़ने जा रहे हैं। इंडिया गठबंधन बनने के बाद ऐसा लग रहा था कि मानों यह दोनों पार्टियों वोटो का बंटवारा रोकने के लिए चुनावी समझौता कर सकती हैं। समझोता तो नहीं हुआ लेकिन दोनों पार्टियों में नोंकझोंक इतनी बढ़ गई कि राहुल गांधी को अखिलेश यादव को फोन करना पड़ा।
सूत्रों का कहना है, कि राहुल और अखिलेश की बात के बाद यह साबित हो गया है, कि इंडिया गठबंधन केवल लोकसभा चुनाव के लिए है, नाकि विधानसभा चुनाव के लिए। लेकिन दोनों पार्टियों के अध्यक्षों को एक दूसरे के लिए ऐसी भाषा के उपयोग से बचना चाहिए, जो आपस में विवाद पैदा करे और बीजेपी को हमला करने का मौका दे। सूत्रों की हवाले से अब ऐसी खबरें मिल रही है कि सपा और कांग्रेस किसी भी राज्य में सीट शेयरिंग का प्लान नहीं कर रही हैं। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद जब लोकसभा चावन की तैयारी शुरू हो जाएगी, तब कहा जा रहा है यह दोनों पार्टियों आपस में आम चुनाव के लिए बात करेंगी।
सपा और कांग्रेस का गठबंधन बनते-बनते रह गया। सीटों को लेकर यह बातचीत कमलनाथ और दिग्विजिय के स्तर पर तक पहुंच गई थी। कांग्रेस के मप्र प्रभारी रणदीप सुरजेवाला और सपा नेता राम गोपाल वर्मा के बीच भी कई स्तर की बातचीत हुई थी। बावजूद इसके यह गठबंधन नहीं बन सका। इसकी तीन प्रमुख वजहें सामने आईं।

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