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इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा बयान- मस्जिदों में लाउडस्पीकर लगाना मौलिक अधिकार नहीं

मस्जिदों

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काजल शर्मा। देश में लाउडस्पीकर को लेकर विवाद कोई नया नही है। वर्षों से लाउडस्पीकर को लेकर विवाद चलता आ रहा है। और अभी भी इसे लेकर लगातार विवाद बना हुआ है। इसी के साथ कुछ साल पहले ही सिंगर सोनू निगम ने भी मस्जिदों में अजान के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले लाउडस्पीकरों पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि सुबह-सुबह लाउडस्पीकर की तेज आवाज से वो सो नहीं पाते हैं। सवेरे- सवेरे लाउडस्पीकर की तेज आवाज से उनकी नींद खुल जाती है।


लाउडस्पीकर को लेकर विवाद का इतिहास बहुत पुराना है। मस्ज़िदों में लाउडस्पीकर को लेकर हमेशा माहौल में गर्मागर्मी बनी रही है। और अब चल रहे विवादों के बीच हाईकोर्ट का बड़ा बयान सामने आया है। कोर्ट ने मस्जिद में लाउडस्पीकर लगाने की याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि मस्जिद में लाउडस्पीकर लगाना हमारा मौलिक अधिकार नहीं है। ये कानून प्रतिपादित हो चुका है कि लाउडस्पीकर का मस्जिदों पर उपयोग करना संवैधानिक अधिकार नहीं है। जस्टिस विवेक कुमार बिरला और जस्टिस विकास की डिवीजन बेंच ने बुधवार को ये आदेश दिया है।

लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर संविधान में नॉयज पॉल्यूशन रूल्स, 2000 में इस प्रावधान को रखा भी गया है। बदायूं जिले के बिसौली एसडीएम ने 3 दिसंबर 2021 को लाउडस्पीकर को लेकर निर्देश जारी किए थे। एसडीएम ने अजान के लिए धोरनपुर गांव की नूरी मस्जिद में लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। याचिका में दलील दी गई थी कि एसडीएम का आदेश पूरी तरह से अवैधानिक है। एसडीएम के इस आदेश से हमारे मौलिक और कानूनी अधिकारों का हनन होता है और हमें ये आदेश मान्य नहीं हैं।


वर्षों से मस्जिदों का इस्तेमाल किया जा रहा था लेकिन इसके इस्तेमाल के लिए कुछ शर्तें भी थी जिससे किसी को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े लेकिन लोग इसका दुरुपयोग करने लगे हैं और इसी को लेकर अब सरकार एक्शन में है।

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