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नई संसद में सुरक्षा की बड़ी चूक, शीत कालीन सत्र के दौरान संसद में दो युवकों ने मचाया उत्पात

रोशनी अहिरवार। (ग्रेटर नोएडा) नई संसद में चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान 13 दिसंबर को एक बड़ी घटना घटी। जिसमें दो युवकों ने पार्लियामेंट के अंदर दर्शक दीर्घा से कूदकर संसद की सुरक्षा में सेंध लगा दी। युवकों ने स्पीकर की तरफ भागते हुए पीले रंग के गैस स्प्रे को संसद में फैला दिया। युवकों को सुरक्षा कर्मियों से पहले सांसदों ने पकड़ लिया और पिटाई भी की।
दोनों युवकों का नाम सागर शर्मा और मनोरंजन डी है। सागर शर्मा लखनऊ का निवासी है और मनोरंजन डी कर्नाटक के मैसूरु से है। हंगामा केवल संसद के अंदर नहीं बल्कि संसद के बाहर भी हुआ। 42 वर्षीय नीलम देवी और 25 वर्षीय अनमोल शिंदे ने संसद के बाहर गैस स्प्रे का छिड़काव किया और जय माता दी, जय भीम और तानाशाही नहीं चलेगी जैसे नारे लगाए। संसद में यह घटना एक सोची समझी साजिश बताई जा रही है जिसका मास्टरमाइंड दरभंगा के ललित मोहन झा को बताया जा रहा है। ललित मोहन झा के पास से इन चारों आरोपियों के मोबाइल फोन बरामद हुए। यह लगातार आरोपियों के संपर्क में भी था। चारों आरोपियों ने पुलिस को पूछताछ के दौरान बताया कि उनकी जान पहचान सोशल मीडिया के माध्यम से हुई थी। यह संसदीय सुरक्षा में लापरवाही, इतिहास की याद दिलाती है जब 13 दिसंबर 2001 को संसद में आतंकी हमला हुआ था, जिसमें सुरक्षाकर्मियों समेत 9 लोगों की जान चली गई थी और 18 लोग घायल हुए थे। घटना में पाकिस्तान के आतंकी लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद को दोषी ठहराया था। आम नागरिकों को संसद के दर्शन दीर्घा में प्रवेश के लिए एक प्रक्रिया से गुजरना होता है, इसमें विजिटिंग पास के लिए सासंद की सिफारिश की जरुरत होती है। एक व्यक्ति का पास अलग से बनता है। आरोपी सागर शर्मा का विजिटिंग पास मैसूरु के बीजेपी सांसद प्रताप सिंह की सिफारिश पर बनाया गया था। सागर शर्मा के साथी मनोरंजन डी ने 2016 में बैचलर आफ इंजीनियरिंग कर ली थी, लेकिन उसे कोई नौकरी नहीं मिल पाई। पुलिस से पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि उन्होंने बेरोजगारी की समस्या के चलते यह कदम उठाया और वह देश का ध्यान इस समस्या की ओर आकर्षित करना चाहते थे इसलिए ही उन्होंने इस प्रकार की घटना का सहारा लिया। दिल्ली पुलिस के द्वारा इन चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है जिन पर यूएपीए और आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) धारा 452, 153, 186 और 353 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। यह घटना संसदीय सुरक्षा की व्यवस्था पर कई सवाल खड़े करती है। बहरहाल, मामले की जांच दिल्ली पुलिस के अंतर्गत की जा रही है।

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