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दिल्ली में बाइक टैक्सी सर्विस पर रोक, सुप्रीम कोर्ट ने बदला हाईकोर्ट का फैसला

लवी फंसवाल। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में रैपिडो, बाइक टैक्सी पर रोक लगा दी है। यह रोक तब तक के लिए लगी है, जब तक कंपनियां पॉलिसी लाइसेंस तैयार नहीं करा लेतीं। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने बाइक टैक्सी को राहत संतावना देते हुए, दिल्ली के परिवहन विभाग की ओर से इन एग्रीगेटर कंपनियों को इजाजत दे दी थी। हाईकोर्ट के इस फैसले को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रैपीडो, उबर कंपनियों के को बड़ा झटका दिया है।

आपको बतादें, कि दिल्ली में रैपीडो, उबर, ओला, बाइक टैक्सी, सेवा पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। यह रोक बाइक टैक्सी कंपनियों पर एक बड़ा झटका है। वहीं इससे पहले हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के फैसले पर रोक लगाते हुए, पॉलिसी आने तक कैब एग्रीगेटर कंपनियों को बाइक सर्विस की इजाजत के आदेश दे दिए थे। बतादें, कि दिल्ली सरकार ने फरवरी 2023 में ओला, उबर, और रैपीडो जैसी एग्रीगेटर कंपनियों की सेवा पर रोक लगा दी थी। इसी रोक को हटाते हुए हाईकोर्ट ने पॉलिसी लाइसेंस आने तक इस रोक को खत्म कर कंपनियों को सेवा सुचारु करने की मंजूरी दे दी थी। जिसको लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के अंतरिम फैसले को बदलते हुए रोक लगा दी है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने बिना किसी वैध लाइसेंस के बाइक टैक्सी के मुद्दे पर, केंद्र और दिल्ली सरकार से सवाल भी पूछे हैं। कोर्ट ने पूछा, कि कोई अधिसूचना किसी एक्ट पर हावी कैसे हो सकती है? वहीं बाइक टैक्सी सर्विस को उपलब्ध कराने वाली कंपनी के वकील नीरज किशन कौल ने दलील दी, कि हर राज्य की सरकार के लिए, इस संबंध में नीति कानून की शक्ति का प्रावधान संविधान में है। लेकिन केंद्र सरकार ने इसको लेकर कोई गाइडलाइन, या नीति नहीं बनाई है। जबकि मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 66 में साफ लिखा है, कि बिना वैध लाइसेंस के किसी भी व्यवसायिक वाहन के मालिक को वाहन नहीं दिया जा सकता है।

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