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आचार्य डॉक्टर सुकामा देवी और डॉ बख्शी को किया गया, पदम् श्री से सम्मानित

लवी फसंवाल। रुड़की के गुरुकुल की प्राचार्य डॉक्टर सोकामा को आर्य समाज की शिक्षा फैलाने के लिए आदित्य योगदान देने के कारण सम्मानित किया गया। वहीं डॉ बख्शीे नहीं पीओ 0238 प्रजाति का गन्ना देने के कारण पदम् श्री सम्मानित किया गया। आपको जानकारी दे दें, कि आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत की कई महान विभूतियों को पदम से सम्मानित किया है। जिसमें डॉक्टर सुकामा देवी और डॉक्टर बख्शी को भी पदम श्री से सम्मानित किया गया। आचार्य सुकामा देवी रुड़की के कन्या गुरुकुल की प्रचार्य हैं। जो महिलाओं को शिक्षा व शक्ति प्रदान कर मजबूत बना रही हैं। वह अपने जीवन आर्य समाज की शिक्षा को फैलाने में समर्पित कर रही हैं। जिसे देखकर उपायुक्त यशपाल ने भी उनकी सराहना की है। विश्ववारा कन्या गुरुकुल रुड़की की प्राचार्य डॉ सुदामा का जन्म झज्जर के गांव आकपुर में हुआ था। डॉ सुकाना ने बहुत शैक्षणिक उपलब्धियां प्राप्त की है। जिसमें उन्होंने शास्त्री से लेकर पीएचडी तक की पढ़ाई की है। इन्होंने प्राचीन गुरुकुल परंपरा में शिक्षा प्राप्त करके ब्रह्मचर्य दीक्षा ली। जिससे प्रेरित होकर यह गुरुकुल पद्धति से कन्याओं को पढ़ाकर शिक्षित व संस्कारवान बना रही हैं। वर्ष 1988 में इन्होंने उत्तर प्रदेश के अमरोहा जनपद में आचार्य डॉक्टर सुमेधा के साथ श्रीमद दयानंद कन्या गुरुकुल महाविद्यालय चोटीपुरा की स्थापना की। इसके बाद रुड़की में विश्ववारा कन्या गुरुकुल का शुभारंभ भी किया। वहीं दूसरी तरफ पद्मश्री डॉ बख्शी राम को हरियाणा व पंजाब में सीओ- 0238 गन्ना प्रजाति को 60 से 70 फीसदी तक पहुंचाने के लिए सम्मानित किया गया। उनके नेतृत्व में रहने वाली वैज्ञानिकों की टीम ने गन्ना प्रजनन के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र करनाल में इस प्रजाति को 2009 में जारी किया। उन्हें पदम श्री मिलने के बाद करनाल के वैज्ञानिकों की टीम में खुशी छा गई है। इस दौरान गन्ना प्रजनन संस्थान के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र करनाल के अध्यक्ष डॉक्टर एस-के पांडे से बातचीत करने से पता चला कि डॉ बख्शी जी ने 24 साल तक इस पर कार्य किया है। इन्होंने क्षेत्रों में अभूतपूर्व बदलाव लाकर गन्ने की पैदावार क्षमता बढ़ाई है। जो उत्तर भारत के अधिकांश किसानों तक पहुंची है। इन दोनों के महान कर्तव्यों के लिए इन्हें पदम्श्री से पुरस्कृत किया गया है।

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