भारतीय क्रिकेट टीम को दोहरी शिकस्त, हार का ठीकरा लेने से क्यों बच रहे कोहली

INDIAN CRICKET TEAM T20 2021
शायर शाकिर उज्जैनी ने लिखा था कि, “ शोहरत इंसान का दिमाग खराब कर देती है और इफरात में मिली दौलत कभी जमींन पर पैर टिकने नहीं देती है” क्रिकेट की दुनिया में उस शायर की जुबानी काफी हद तक मुकम्मल बैठती है, क्योंकि दुबई के मैदान में पाक के हाथों ऐतिहासिक शिकस्त खाने के बाद कप्तान विराट कोहली को सबक ले लेनी चाहिए था। विराट की आंखों में अंधकार की पट्टी जो बंध गई थी। एक बार शिक्सत खाने के बाद सुधार होना लाजमी था। लेकिन कोहली की रणनीति कुछ हटकर बनी। जिसकी वजह से हार को गले लगना पड़ा। एकतरफा हार भारत को पहलीबार इस तरह से मिली है। पिच व मैदान की हकीकत से रुबरु होकर रणनीति नाते तो काफी हद तक भारतीय टीम को आलोचना से नहीं गुजरना पड़ता। विराट अपने पारिवारिक मोह में इस तरह सिमटें हुए है कि उनका दिमाग खेल के मैदान से अधिक घर पर लगा रहता है। उन्होंने अपनी सोच के मुताबिक रणनीति बनाई थी क्योंकि न तो रोहित शर्मा से ओपनिंग बैटिंग करवाई और न ही अपने क्रम पर वे खुद मैदान में उतरे। लेकिन उनका ये प्रयोग पूरी तरह से फ़ैल साबित हुआ। लिहाज़ा,विराट कोहली की इस नौसिखिया रणनीति पर देश के पुराने नामचीन खिलाड़ी सवाल उठा रहे हैं। आखिर जीत का सेहरा टीम के सेनापति के सिर पर ही बंधता है, तो फिर हार का ठीकरा अपने सिर पर फूटने से बचने के लिए किसी कप्तान को आखिर इस तरह से मुंह छिपाकर भला क्यों भागना चाहिए
सवालों के घेरे में विराट की कप्तानी आज मुंह दिखाने के काबिल नहीं बची। विराट सवालों में इस तरकह उलझे हुए है जिसके जबाव उनके पास नहीं है। टी20 वर्ल्डकप में दोहरी शिकस्त के जिम्मेदार विराट को बताया जा रहा है। सेना का सेनापति अच्छे और बुरे का भागीदारी होता है। तो इस हार के बाद विराट को मुंह छुपाने की जगह सामना करने की आवश्यकता थी। आखिर खेल में ऐसी कौंन सी आफत आ गई थी, कि भारतीय टीम को लगातार मुंह की खानी पड़ रही है। विराट को इस बात से स्पष्ट करवाना चाहिए। जिनका ध्यान अपने खेल से ज्यादा मल्टी नेशनल कंपनियों की चीजों को बेचने के विज्ञापन से होने वाली कमाई पर ही ज्यादा होता है? जाहिर है कि कंपनी कोई देसी हो या विदेशी, वो अपना ब्रांड अम्बेसेडर उसी को बनाती है जिसने मैदान में अपने हुनर का जलवा दिखाते हुए देश के बड़े तबके के दिलों-दिमाग में अपना एक अलग मुकाम बनाया हो।
इस मामले में फिलहाल तो विराट कोहली ही अव्वल नंबर पर हैं, इसीलिये सवाल पूछने वालों के निशाने पर वे इसलिये भी सबसे आगे हैं क्योंकि वही भारतीय टीम के कप्तान हैं। रविवार को विराट कोहली के द्वारा दोहरी हार का समना करने के बाद नामचीन खिलाड़ी कपिलदेव व मोहम्मद अजहरुद्दीन ने आलोचना की थी। सवाल है कि विराट कोहली अंतर्राष्ट्रीय मैचे में कप्तानी के काबिल है या नहीं? विराट के पहले रह चुके कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और कपिलदेव ने भारतीय टीम का हौसला कभी घटने नहीं दिया। भले ही उन्हें हार का सामना करना पड़ा हो लेकिन सामने वाली टीम को मुश्किल में फंसा दिया था।
दरअसल पहले की यादें ताजा तरना विराट के गाल पर तमाचा लगाने के समान है। खेल जगत के अनुभवी पत्रकार ने बताया कि कप्तान विराट कोहली भले ही शानदगार खिलाड़ी है लेकिन कप्तानी में वो चूक कर देते है। इससे स्पष्ट होता है कि कोहली को अंतरराष्ट्रीय मैचो को लीड करने का अनुभव नहीं है। मैदान खेल का हो या जंग का,यदि आपने दुश्मन को कमजोर समझ लिया,तो मानकर चलिये कि आधी बाज़ी तो आप पहले ही हार गए। पाकिस्तान की हार से विराट ने कोई सबक नहीं लिया बल्कि वही गलती न्यूजीलैंड के साथ खेले गए मैच में भी दोहराई। कपिलदेव के मुताबिक, अगर मैं कप्तान होता,तो ऐसे हालात में अपनी टीम का बेटिंग आर्डर कभी नहीं बदलता। इस हार में रोहित शर्मा से ओपनिंग न करवाना और ख़ुद विराट का बाद में बेटिंग करने का फैसला टीम इंडिया के लिए एक तरह से आत्मघाती साबित हुआ।
क्रिकेट के प्रति लोगों की ऐसी दीवानगी और उनके इस इमोशन का ऐसा नज़ारा भारत के सिवा शायद ही किसी और देश में देखने को मिलता हो। लिहाज़ा,ऐसे माहौल में मैच हार जाने के बाद ही टीम के कप्तान की तरफ से आई इतनी जबरदस्त निराशा भरी प्रतिक्रिया सबको चौंकाने वाली भी है। कपिलदेव ने कहा कि हार की बात केवल 11 खिलाड़ियों की नही बल्कि समूचे भारत को निराशा में डालने वाली है। इस बात पर पूर्व कप्तान अजहरुद्दीन ने कहा कि किसी भी हालात में अच्छाहो या बुरा उसका जिम्मेदार कप्तान ही होता है। कप्तान इस जबावदेही से मुकर रहा है तो क्रिकेट बोर्ड को ये सोचना चाहिए कि ऐसा कप्तान अंतरराष्ट्रीय मैचो में लीड करने लायक है या नहीं।