आईआईएमटी में डिजिटल फॉरेंसिक एंड जॉब ऑपर्च्युनिटीज पर सेमिनार

 

राजतिलक शर्मा

(ग्रेटर नोएडा) पहले अपराधी को पकड़ने के लिए फिंगर प्रिंट, बाल के नमूने, या कपड़े के आधार पर क्रिमिनल को पुलिस या सीआईडी पकड़ लेती थी, लेकिन आज के समय में 90 प्रतिशत अपराध डिजिटल हो गया है। यह बातें साइबर सिंघम नाम से पहचाने जाने वाले पूर्व आईपीएस अधिकारी डॉ.त्रिवेणी सिंह ने आईआईएमटी कॉलेज में कहीं।

मुख्य अतिथि के रूप में  डिजिटल फॉरेंसिक एंडइंसीडेंट रिस्पॉन्स एंड जॉब ऑपर्च्युनिटीज विषय हुए सेमिनार में बोलते हुए उन्होंने आगे कहा कि डिजिटल क्राइम आज-कल हर जगह हो रहा है कोई भी जगह अब इससे अछूती नहीं है। जिसमें से 90 प्रतिशत से अधिक केस पुलिस के पास पहुंचते ही नहीं। अब बड़ी-बड़ी कंपनियां खुद ही इस तरह के अपराध की जांच अपने स्तर पर करने लगी हैं। उन्होंने आगे बताया कि किसी भी स्ट्रीम का छात्र इस फील्ड में काम कर सकता है बशर्ते उसे साइंसके बेसिक और हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर जानते हैं तो इस क्षेत्र में आ सकते हैं। वहीं इस संगोष्ठी में वक्ता के रूप में इंडिया ट्रिनेक्सला में डॉयरेक्टर मोईन शेख ने कहा कि डिजिटलफॉरेंसिक के लिए कई पद्धतियां को काम को काम में लिया जाता है जिसमें फोरेंसिक काडाटा कैसे इकट्ठा करना, विश्लेषण करना, ठीक करना है। डिजिटल फोरेंसिक जांचआमतौर से चार चरणों में की जाती है। इस क्षेत्र में रोजगार की असीम संभावनाएं हैं।इस दौरान छात्रों ने डिजिटल फॉरेंसिक को लेकर कई प्रकार के प्रश्न पूछे। इस मौके परआईआईएमटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के डॉयरेक्टर डॉ. एसएस त्यागी, (आईआईएमटी लैडर बिजनेस फाउंडेशन) के इनक्यूबेशन मैनेजर मयंक राज, प्रोफेसर डॉ. महेंद्र शर्मा, प्रोफेसर डॉ. प्रभात विश्वकर्मा, सहित कॉलेज के अनेक लोग और छात्र मौजूद रहे।

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