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474 साल बाद रक्षाबंधन पर बन रहा विशेष संयोग

हिंदू धर्म में रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहनों के प्रेम का प्रतीक है। साल में एक बार मनाए जाने वाले इस त्योहार का भाई-बहन बड़ी बेसब्री से इंतज़ार करते हैं। इस दिन बहनें अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उन्हें तिलक लगाकर मिठाई खिलाती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन बहन अपने भाई की लंबी आयु और उसकी सुख समृद्धि के लिए रंग-बिरंगे धागों से कलाई सजाती है। वहीं भाई बदले में अपनी बहन की सदैव रक्षा करने का संकल्प लेते हैं साथ ही उन्हें तरह-तरह के उपहार भेंट करते हैं।

ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, रक्षाबंधन का त्योहार सावन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस वर्ष यह पूर्णिमा 21 अगस्त को सुबह 7 बजे शुरू हो जाएगी जो कि अगले दिन 22 अगस्त को शाम 5 बजकर 35 मिनट पर इसका योग समाप्त हो जाएगा। हिंदू पंचाग के अनुसार राखी बांधने का समय 22 अगस्त सुबह 6 बजे से शाम करीब 5:38 बजे तक ही रहेगा। बता दें, रक्षाबंधन का त्योहार हर बार श्रावण नक्षत्र में पड़ता है जिसमें धनिष्ठा नक्षत्र भी शामिल होता है। इस बार रक्षाबंधन के दिन कुंभ राशि में गुरु की चाल वक्री रहेगी और इसके साथ चंद्रमा भी वहां मौजूद रहेगा। वहीं, ज्योतिषों का कहना है कि इस बार का रक्षाबंधन 474 साल बाद विशेष संयोग से लिप्त है।

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