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22 वर्ष पूर्व आज ही के दिन कारगिल युद्ध में विजय की ध्वनि गूंज उठी थी, पाकिस्तान के कर दिए थे दांत खट्टे

आज से 22 वर्ष पूर्व 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान 13 जून को बड़ा टर्निंग प्वाइंट आया था। कारगिल को पाकिस्तान से छुड़ाने के लिए 22 साल पहले तोलोलिंग चोटी फतह करने के अभियान में विजय की गूंज उठी थी। इस जीत ने युद्ध का पासा पलट दिया था और भारतीय सेना की झोली में आ गया था। पहली चोटी तोलोलिंग और सबसे ऊंची चोटी टाइगर हिल पर विजय पताका फहराने का सौभाग्य हिमाचल के मंडी जिले के नगवाईं के खुशाल ठाकुर और उनकी यूनिट 18 ग्रेनेडियर को प्राप्त हुआ था।
ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर अपनी स्मृतियों के पन्नों को पलटते आज भी इस अभियान को नहीं भूल पाते। उन्होंने बताया कि अपनी यूनिट के साथ कश्मीर घाटी में आतंकवाद से लड़ रहे थे। राजपूताना राइफल्ज के 3 अधिकारियों सहित 10 जवान शहीद हुए। सबसे पहले मेजर राजेश अधिकारी शहीद हुए। एक बड़े नुकसान के बाद कर्नल खुशाल ठाकुर ने स्वयं मोर्चा संभालने की ठानी और अभियान को सफल बनाया। 13 जून 1999 की रात को 18 ग्रेनेडियर व 2 राजपूताना राइफल्ज ने 24 दिन के रात-दिन संघर्ष के बाद तोलोलिंग पर कब्जा किया, परंतु तोलोलिंग की सफलता बहुत महंगी साबित हुई। इस संघर्ष में लेफ्टिनेंट कर्नल विश्वनाथन बुरी तरह घायल हुए और अंतत: कर्नल खुशाल ठाकुर की गोद में प्राण त्याग कर वीरगति को प्राप्त हुए थे। हवलदार योगेंद्र यादव को देश के सर्वोच्च वीरता सम्मान ‘परमवीर चक्र’ से सम्मानित किया गया। इसके अलावा 2 महावीर चक्र, 6 वीर चक्र, 1 शौर्य चक्र, 19 सेना पदक और दूसरे वीरता पुरस्कारों से नवाजा गया। साथ ही कारगिल थियेटर ऑनर और टाइगर हिल व तोलोलिंग बैटल ऑनर 18 ग्रेनेडियर को दिए गए। कर्नल खुशाल ठाकुर को युद्ध सेवा मेडल से नवाजा गया।

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