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वफादारी की जीती जागती मिसाल, मालकिन की मौत पर 5 दिन शमशान में करता रहा इंतज़ार

देश में महामारी के भीषण संकट में इंसान की इंसानियत का जायजा मिल गया है। संकट के इस दौर में इंसान को इंसान नोंच रहा है। लेकिन ऐसे में भी कुछ घटनाएं मिसाल बन जाती हैं। यहां बात किसी इंसान की नहीं एक कुत्ते की हो रही है। घटना बिहार के गया जनपद स्थित शेरघाटी अनुमंडल के शहर सत्संग नगर की है। यहां रहने वाले भगवान ठठेरा नामक व्यक्ति की पत्नी की मौत के बाद उनके पालतू कुत्ते शेरू ने कुछ ऐसा किया की वह वफादारी की मिसाल बन गया।
दरअसल 1 मई को हुई मौत के बाद महिला के शव को राम मंदिर घाट ले जाया गया था। बताया जा रहा है कि अंतिम संस्कार की पूरी प्रक्रिया होने के बाद जब सभी लोग लौटने लगे तो शेरू वहीं बैठा रहा। लोगों ने यह सोचा थोड़ी देर में वो खुद लौट आएगा। लेकिन जब 4 दिनों तक वो वापस नहीं लौटा तब मृतक महिला के घर वालों ने उसकी खोज खबर लेनी शुरू की। इसी दौरान पता चला कि शेरू तो पिछले चार दिनों से श्मशान घाट में उसी स्थान पर भूखा प्यासा बैठा है, जहां उसकी मालकिन का अंतिम संस्कार किया गया था। मृतक महिला के परिजन और आसपास के लोगों ने बताया कि जिस महिला की मौत हुई है, वो गली के ही एक कुत्ते को प्यार से खाना खिलाया करती थी। लोगों ने बताया कि शेरू हमेशा उसके घर के दरवाजे पर ही बैठा रहता था। ठंड के समय महिला द्वारा शेरू के लिए पुआल की व्यवस्था की जाती थी तो गर्मी में उसके लिए ठंडक पहुंचाने की व्यवस्था भी करती थी। बरसात के समय महिला द्वारा उसके के लिए प्लास्टिक बांधा जाता था ताकि पानी से वह भीग ना जाए। शायद यही वजह है कि शेरू अपने मालकिन द्वारा की गई मेहरबानियों को भूल ना सका। इस कारण उसे अपनी मालकिन के जाने का इतना दुख हुआ कि वह 4 दिनों तक श्मशान घाट पर अपनी मालकिन के लौटने का इंतजार करता रहा। लोगों ने बताया कि शेरू के विषय में जानकारी मिलने के बाद जब उसे वापस लाने की कोशिश की गई तो उसने गुस्से से भौंक – भौंक कर सभी को लौटने पर मजबूर कर दिया। स्थानीय लोगों द्वारा यह भी जानकारी दी गई थी जब शेरू को खाना खिलाने की कोशिश की गई तो उसने खाना भी नहीं खाया। बताया गया कि पांचवे दिन मृतक महिला के परिवार वाले आसपास के लोगों के साथ फिर से शेरू को खाना खिलाने पहुंचे। लेकिन उन्हें शेरू कहीं नहीं दिखा। यह सच्ची घटना सभी को यह सीख देती है कि दिल से किसी भी व्यक्ति के द्वारा की गई मदद को इंसान तो क्या जानवर भी नहीं भुला पाते।

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