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‘लाल टोपी’ पर छिड़ी सियासत

टोपी

उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र राजनीतिक दलों ने अपने तरकश में रखे सभी तीर आज़माना शुरु कर दिये हैं। कोई लाल टोपी और सीजनल हिंदू जैसे शब्दों का प्रयोग करके खुद को बादशाह साबित करने में लगा है तो कोई बेचू और जुमलेबाज कहकर जनता को सच्चाई से रुबरु करवाने की जद्दोजहद में जुटा हुआ है।

इस बीच यूपी चुनाव में कब्रिस्तान की भी एंट्री हो गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने एक बार फिर समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया है कि पहले की सरकारें पैसे को कब्रिस्तानों पर खर्च करती थीं। लेकिन उनकी सरकार हिंदू तीर्थ स्थानों को विकसित करने पर पैसा खर्च कर रही है।

दरअसल, बुधवार को श्रीकृष्ण जन्मभूमि पहुंचे योगी आदित्यनाथ ने एक जनसभा को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने कहा कि पहले कब्रिस्तानों की बाउंड्री बनाने के लिए पैसा दिया जाता था, तीर्थस्थानों के विकास पर नहीं। उन्होंने आगे दावा किया कि बीजेपी की सरकार में आज धार्मिक आयोजन बड़े पैमाने पर आयोजित किए जा रहे हैं और संतों का सम्मान हो रहा है। इसके अलावा सीएम योगी ने राम मंदिर के मुद्दे पर चर्चा करते हुए विपक्ष पर हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि अगर बबुआ होते तो वो अब्बाजान की तरह राम मंदिर के निर्माण के दौरान फायरिंग का आदेश देते। अगर उन्हें आतंकवादियों को संरक्षण देने से समय मिलता तभी तो वे विकास, महिला सशक्तिकरण और मंदिरों के बारे में सोचते।

बता दें, सीएम योगी ने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफों के कसीदे पढ़ते हुए कहा कि एकतरफ राम भक्तों की सरकार है और दूसरी तरफ वो हैं जिन्होंने राम भक्तों पर गोलियां चलवाईं।”

इससे पहले मंगलवार को गोरखपुर पहुंची पीएम मोदी ने भी समाजवादी पार्टी पर तंज कसते हुए लाल टोपी का जिक्र किया था। उन्होंने इशारों-इशारों में कहा था कि लाल टोपी का मतलब होता है रेड अलर्ट। जिसके बाद यूपी की सियासत गर्मा गई। और समाजवादी पार्टी के मुखिया और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव समेत तमाम नेता लाल टोपी पहनकर बीते दिन सदन की कार्यवाही के दौरान पहुंचे। इस दौरान सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पीएम के लाल टोपी वाले बयान पर कहा कि जो लोग जनता की संपत्ति बेचते हैं वो लाल रंग से डरते हैं। आज तक यह ‘जुमलों’ वाली सरकार रही है, अब यह ‘बेचू’ सरकार भी हो गई है। वह ऐसे मुद्दे इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि वो असल मुद्दों पर बहस नहीं चाहते।

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